वीर कुँवर सिंह ने सन् 1857 के भारतीय विद्रोह में अपना बायां हाथ गंवा दिया था।
क्रांतिकारी वीर कुँवर सिंह (Veer Kunwar Singh) का जन्म 13 नवंबर, सन् 1777 में बिहार के भोजपुर जिल के जगदीशपुर नाम के एक गांव में राजा साहबजादा सिंह और रानी पंचरत्न देवी के यहाँ हुआ था। वीर कुँवर सिंह उन महान क्रांतिकारियों में से एक थे जिन्होंने भारत की स्वाधीनता की लड़ाई में जो साहस दिखाया उसे हमेशा याद किया जाता रहेगा। वीर कुँवर सिंह ने सन् 1857 के भारतीय विद्रोह में अहम भूमिका निभाई थी और इसका नेतृत्व भी उन्होंने ही किया था। इस विद्रोह के समय वीर कुँवर सिंह की उम्र 80 वर्ष थी, जब उन्होंने अपना बायां हाथ भी गंवा दिया था।
वीर कुँवर सिंह बायोग्राफी – Veer Kunwar Singh Biography In Hindi
नाम | वीर कुँवर सिंह |
जन्म तारीख | 13 नवंबर, सन् 1977 |
जन्म स्थान | गांव जगदीशपुर, जिला भोजपुर, बिहार |
पिता का नाम | बाबू साहबजादा सिंह |
माता का नाम | पंचरत्न देवी |
पत्नी का नाम | धरमन बाई |
कार्य | क्रांतिकारी |
निधन | 26 अप्रैल, 1858 |
कौन थे वीर कुँवर सिंह?
वीर कुँवर सिंह राजपूत कबीले परिवार से थे, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में मुख्य भूमिका निभाई। वीर कुँवर सिंह के पिता ब्रिटिश शासन के कट्टर विरोधी थे और अपने पिता के ये गुण वीर कुँवर सिंह में साफ दिखाई देते थे। सन् 1826 में अपने पिता की मृत्यु के बाद वीर कुँवर सिंह जगदीशपुर के तालुकदार बने, जिसके बाद उन्होंने पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए वनीकरण की दिशा में एक अभियान की शुरुआत की।
सन् 1857 का विद्रोह और वीर कुँवर सिंह
जब भी सन् 1857 के भारतीय विद्रोह का ज़िक्र होता है, तो वीर कुँवर सिंह को सबसे पहले याद किया जाता है। उन्होंने इस विद्रोह में एक सैन्य कमांडर के रूप में अपनी सेना का नेतृत्व करने के साथ-साथ खुद को भी इस विद्रोह के लिए पूर्ण रूप से समर्पित कर दिया। इस लड़ाई में वीर कुँवर सिंह के भाइयों ने भी उनका पूरा साथ निभाया और अंग्रेजों को पराजित किया।
वीर कुँवर सिंह की वीरता
सन् 1857 का विद्रोह अपने चरम पर था, जब वीर कुँवर सिंह डलगस की सेना की गोली का निशाना बन गए। वीर कुँवर सिंह अपनी सेना के साथ गंगा नदी पार कर रहे थे और तभी अचानक उनके ऊपर गोलीबारी होने लगी। इस गोलीबारी में एक गोली वीर कुँवर सिंह के बाएं हाथ की कलाई में जा लगी। गोली लगने के बाद घाव इतना ज़्यादा हो गया था कि उसका संक्रमण वीर कुँवर सिंह के पूरे हाथ में फैलता जा रहा था। इस संक्रमण से बचने के लिए वीर कुँवर सिंर ने वीरता दिखाते हुए स्वयं ही अपना हाथ काटकर गंगा नदी में फैंक दिया। बावजूद इसके उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी और सन् 1858 में उन्होंने अपने जीवन की आखिरी लड़ाई अस्सी वर्ष की आयु में लड़कर अपनी वीरता को सदा के लिए अमर कर दिया।
वीर कुँवर सिंह को मिलने वाले सम्मान
वीर कुँवर सिंह का निधन 26 अप्रैल, सन् 1858 को हो गया था।
- उनके मरणोपरांत 23 अप्रैल, सन् 1966 को भारत गणराज्य ने उनके सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया।
- इसके अलावा बिहार सरकार ने सन् 1992 में वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय की भी स्थापना की।
- वर्तमान में बिहार में एक पार्क भी मौजूद है जिसे वीर कुँवर सिंह आजादी पार्क के नाम से जाना जाता है, जिसकी आधिकारिक घोषणा वर्ष 2018 में वीर कुँवर सिंह की 160वीं वर्षगांठ पर बिहार सरकार द्वारा की गई थी।
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