अखिलेश की कथनी करनी में अंतर

जबसे यूपी में योगी सरकार बनी है तब से पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव योगी सरकार की आलोचना करते रहते हैं। विपक्ष के नेता होने के कारण सरकार के कार्यो का विरोध करना लाज़मी है। परन्तु विरोध करते समय अखिलेश यादव पूर्व में अपने द्वारा किए गए कार्यों को भूल जाते है। अभी योगी सरकार ने चैत्र नवरात्रि व रामनवमी के लिए प्रत्येक जिले को एक लाख रुपये देने की बात की है। उन्होंने कहा है कि इस राशि को जिले में स्थित देवी मंदिर व शक्तिपीठों में होने वाले धार्मिक आयोजनो में लगाया जाएगा। योगी के इस निर्णय पर सपा नेता व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कटाक्ष करते हुए कहा है कि नवरात्रि व रामनवमी मनाने के लिए एक लाख रुपय की राशि देने से क्या होगा ? कम से कम दस करोड़ रुपये दिए जाने चाहिए थे, जिससे सभी धर्मों के त्यौहार सही ढंग से मनाएं जा सके।

उन्होने योगी सरकार को त्यौहारों पर मुफ्त रसोई गैस सिलेंडर देने की बात भी कही। सोचने वाली बात है कि अखिलेश यादव को जनता की ये चिंता मुख्यमंत्री रहते हुए क्यों नही हुई। आज जब कोई मुख्यमंत्री समाज के लिए कुछ कर रहा है तो आप उस पर टिप्पड़ी करके और ज्यादा करने का सुझाव दे रहे हैं। जब आप मुख्यमंत्री थे तब आपने ये सब क्यों नही किया। धार्मिक त्यौहारों पर दस करोड़ देने का सुझाव देने वाले अखिलेश ने अपने कार्यकाल में क्या किया सब जगजाहिर है। इन्ही अखिलेश यादव के कार्यकाल में देश की आस्था के केंद्र भगवान शंकर की कावड़ यात्रा पर रोक लगाई गई थी। यूपी सरकार की तरफ से आदेश था कि कावड़ यात्रा नही निकलनी चाहिए और अगर निकले भी तो साउंड, ढोल, नगाड़ो के बिना निकले।

जगह - जगह पुलिस को इस पर अमल करने के लिए लगाया गया था। रमजान के महीने में यूपी के समस्त मंदिरों के माइकों को उतारने का आदेश भी अखिलेश सरकार ने ही दिया था जिस कारण जगह - जगह विवाद भी हुए थे। सरकारी कार्यालयों में रोजा अफ्तारी करने की अनुमति थी परन्तु नवरात्री पर जागरण करने की कोई अनुमति नही थी। दिवाली पर पटाखे छोड़ने पर प्रतिबंध था और होली पर रंग खेलने पर प्रतिबंध था। आज योगी सरकार द्वारा समाज को अपने तरीके से अपने त्यौहार मनाने की आजादी मिलने पर आप उनको सुझाव दे रहे हो। अखिलेश यादव जो सुझाव योगी सरकार को दे रहे हैं उन पर सपा शासन में अमल किया गया होता तो आप आज विपक्ष में नही बैठे होते।धार्मिक रूप से भेदभाव पूर्ण सरकार चलाने वाले अखिलेश के मुख से कोई सुझाव शोभायमान नही हो रहा।

आज नवरात्रि पर दस करोड़ देने की बात करने से तो आपकी कथनी और करनी में अंतर दिखाई पड़ता है। सत्ता में रहेंगे तो कुछ और करेंगे औऱ विपक्ष में रहेंगे तो कुछ और कहेंगे।अपने नेता से रामचरितमानस का अपमान कराने वाले अखिलेश यादव को अपनी स्थिति स्पस्ट करनी चाहिए। आखिर वो करना क्या चाहते हैं ? केवल विरोध करने से सत्ता नही पाई जाती। उसके लिए समाज के लिए कुछ करना पड़ता है। जनता का विशवास जीतना पड़ता है।जिस योगी सरकार के निर्णय पर तंज कसते हुए अखिलेश सुझाव दे रहे हैं उसी योगी सरकार पर जनता का कितना विश्वास है ये उनको भली भाँति पता है।

नोट - यह लेख ललित शंकर गाजियाबाद द्वारा लिखा गया है।