सोशल मीडिया में युवाओं के मध्य बेहद लोकप्रिय युवा संन्यासी स्वामी राम शंकर डिजिटल बाबा माँ नर्मदा की परिक्रमा करने के दौरान 118 वे दिवस ओम्कारेश्वर पहुँच कर परिक्रमा पूर्ण किये। परिक्रमा के उपरान्त बैजनाथ हिमाचल प्रदेश जाने से पूर्व खंडवा में पत्रकार जन से बात करते हुऐ अपने परिक्रमा के अनुभव को साझा किये डिजिटल बाबा ने कहा कि प्रदेश सरकार नेता लोग प्रदेश के मुखिया नर्मदा माँ की भक्ति खूब करते है पर मैया की सेवा करने में कही सजग नही दिखते छिपानेर में अवैध रेत का खनन हो रहा है पर मुख्यमंत्री को कोई फर्क नही पड़ता कलेक्टर खनन करने वालो पर कोई कठोर कार्यवाही नही करते जबकि छीपानेर मुख्यमंत्री शिवराज चौहान के अपने विधान सभा मे आने वाला स्थान है।
अनगिनत गन्दे नाले के जल नर्मदा में मिल रहे है किसी को कुछ लेना-देना नही है बस सरकारी खजाने से धन ख़र्च कर नर्मदा जी की जयंती कर के भक्ति का दिखावा करना है ध्यान रहे नर्मदा जी को स्वच्छ नही रखा गया तो आने वाले समय मे गम्भीर संकट का समान करना पड़ सकता है। मत भूलिए की नर्मदा के जल पर अनगिनत लोग निर्भर है केवल खेत की सिंचाई ही नही घरों में नर्मदा जल को पीने भोजन पकाने के कार्य मे भी कई शहर गाँव के लोग उपयोग करते है सरकारी बजट से पेड़ लगाये जाते है पर उनका रख रखाव सही समय पर न लगाएं जाने के कारण वो पेट जीवित नही बचते डिजिटल बाबा ने जनता से अपील करते हुऐ कहा कि सरकार नर्मदा का देखभाल करे ये सोच कर हमें अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नही झाड़ना चाहिए हमे अपना कर्तव्य समझ कर नर्मदा को स्वच्छ रखने में भरपूर योगदान देते रहना होगा।प्रदेश की जनता से अपील करते हुऐ डिजिटल बाबा ने कहा कि अंध भक्ति किसी की मत कीजिये नेता जो बेहतर हो उसी को मतदान कीजिये जो बेहतर प्रवचन करे जीवन का मार्गदर्शन करें उसी के बातों का अनुसरण कीजिये।
डिजिटल बाबा पूरे परिक्रमा को फेसबुक लाइव कर आम जनमानस को डिजिटली परिक्रमा का दर्शन लाभ प्रदान करा रहे हैं। नर्मदा मैया के जल को स्वच्छ रखने के विषय मे डिजिटल बाबा ने कहा कि जब तक हम व्यक्तिगत ढंग से जागरूक नही होगे तब तक माँ नर्मदा का जल प्रदूषित होता रहेगा। सरकार में बैठे नेता लोग केवल वादा करते रहेंगे धरातल पर उन वादों को उतारने में कोई भी सरकार तब तक सफल नही हो सकती जब तक की नागरिक अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह ठीक ढंग से नही करेंगे। अतः हमें अपनी जिमेदारी का निर्वाह करते रहना है नर्मदा जी को स्वच्छ बनाने में ततपर रहना है। नर्मदा परिक्रमा हमे आध्यात्मिक रूप से और बेहतर स्थिति प्रदान करती है हमारे भीतर मानवता सेवा भाव का आधान करती है । जीवन के विषमतो में सम रहने की कला सिखाती है ये नर्मदा परिक्रमा सचमुच अद्भुत अपूर्व अनिर्वचनीय है माँ नर्मदा की परिक्रमा।
नर्मदा की परिक्रमा कर रहे डिजिटल बाबा ने बताया कि अब तक की परिक्रमा बेहद सुखद रही इस परिक्रमा से हमें दैवीय कृपा तो मिलती ही है साथ ही साथ भीतर की संकल्प शक्ति में दृढ़ता भी आती है किताबो में दुनियां के बारे में बहुत कुछ पढ़ने को मिल जाता है किन्तु जो ज्ञान अनुभव देशाटन से प्राप्त होता है वो अन्य साधन से कभी हासिल नही होता। परिक्रमा में सबसे एहम बात ये देखने को प्राप्त होता है कि जातिगत उच नीच की सारी दिवाल गिर जाती है सब समता से जीवन जीते हैं । सच मानिये यदि मानवता को जीवन्त मूर्त होते देखना है तो एक बार परिक्रमा में अवश्य शामिल होइये । इस 3600 किलोमीटर की नर्मदा परिक्रमा में डिजिटल बाबा अकेले ही रहते हैं जहा रुकते है उनके मध्य अपना अनुभव सुनाते हैं आध्यात्म के विषयों से लोगो को परिचित कराते हैं। डिजिटल बाबा प्रति दिन करीब 35 से 45 किलोमीटर पैदल परिक्रमा कर रहे है बाबा ने बताया कि हमने परिक्रमा को समय सीमा में नही बाधा है । माँ नर्मदा के पावन सानिध्य में मन आनन्दित है । अधिकतर परिक्रमा माँ नर्मदा मां के तट मार्ग से ही कर रहे है। परिक्रमा के दौरान मध्यप्रदेश के नागरिक जन बेहद प्रेम भाव से परिक्रमा कर रहे लोगो की सेवा में तन मन धन से समर्पित रहते है। यह परिक्रमा एक दिन दो दिन एक सप्ताह की नही बल्कि पूरे 4 से 5 महीने में पूरी होती है। परिक्रमा करने वाले लोगो के लिये भोजन चाय व ठहरने की व्यवस्था ग्रामीण जन आपस मे मिल कर करते है। कही-कही कोई अकेले भी करते है। कुछ स्थान पर आश्रम एवं मन्दिर के व्यवस्थापक जन कर रहे हैं। सोशल मीडिया के लोकप्रिय युवा संन्यासी डिजिटल बाबा ने 4 नवम्बर को देव उठनी एकादशी के दिन गोमुख घाट पर विधिवत पूजा पाठ कर कन्या भोज के उपरान्त ओमकारेश्वर से नर्मदा परिक्रमा आरम्भ किये।
स्वामी राम शंकर ऐसे युवा संन्यासी है जो युवा वर्ग को आध्यात्म भारतीय संस्कृति के विषय मे लगतार सोशल मीडिया के जरिये जागरूक करते रहते है। युवा वर्ग को जीवन मे अध्यात्म के महत्व को समझाते रहते है । डिजिटल बाबा के फेसबुक पेज पर देश और दुनियां भर से एक लाख 70 हजार लोग डिजिटल बाबा को फॉलो करते हैं ।
डिजिटल बाबा ने बताया कि मां नर्मदा की परिक्रमा मेरे जीवन का नितांत निजी अनुभव का विषय है इसे सोशल मीडिया के जरिये लोगो के मध्य दिखाने का उद्देश्य परिक्रमा के महत्व को समाज के युवा पीढ़ी तक पहुचना है ताकि युवा प्रेरित होकर माँ नर्मदा की परिक्रमा में शामिल हो। परिक्रमा के जरिये हमारे भीतर भक्ति ईश्वर कृपा की बढ़ोतरी होती है साथ ही साथ समाज की वस्तु स्थिति संस्कृतिक स्थिति जीवन दर्शन का ज्ञान भी होता है। डिजिटल बाबा ने कहा कि बहुत सारे लोग एवम संस्थागत ढंग से परिक्रमा वासी के सेवा में अलग- अलग स्थानों में निरंतर सहयोग पहुँचा रहे है। हमारी कोशिश हैं कि दुनियां के समक्ष उनके कार्यो को सोशल मीडिया के जरिये दिखाऊ बताऊँ साथ ही साथ जो ज्ञानी ध्यानी सन्त जन मार्ग में मिलते हैं उनके जीवन दर्शन ज्ञान से युवा वर्ग को रूबरू कराऊ । पूरे परिक्रमा का लाइव प्रसारण समय समय पर हम करते रहते है ताकि जो वृद्ध जन शक्ति सामर्थ्य के अभाव में परिक्रमा नही कर पा रहे उन्हें परिक्रमा का दर्शन लाभ प्राप्त हो सकें।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पले बड़े हैं। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से बी. काम. अन्तिम वर्ष की पढाई करने के दौरान स्वामी जी घर परिवार को छोड़कर आध्यात्मिक मार्ग की ओर उन्मुख हो गये। वर्ष 2008 में 11 नवंबर को अयोध्या के लोमश ऋषि आश्रम के महंत स्वामी शिवचरण दास महाराज से दीक्षा प्राप्त कर वैरागी परम्परा के भक्ति मार्ग में अपना जीवन समर्पित कर साधना में संलग्न हो गये। स्वामी राम शंकर डिजिटल बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के ग्राम खजुरी भट्ट में 1 नवम्बर 1987 को हुआ। आपके पिता श्री नन्द किशोर जी कर्मकांड के आचार्य हैं माता रंजना देवी गृहणी हैं। हिमालय क्षेत्र से बेहद लगाव होने के कारण गुरुकुलो में आध्यात्मिक अध्ययन पूरा करने के बाद वर्ष 2017 जुलाई माह से स्वामी जी हिमाचल प्रदेश के बैजनाथ धाम में स्थित नागेश्वर महादेव मन्दिर में स्थायी रूप से रह कर आप अपने आध्यात्मिक साधना में संलग्न हैं।स्वामी जी कहते है बाहर चाहे कितना भी घूम लो, विषयो के आनंद से स्वयं को कितना भी सींच लो पर जब तक ब्रम्हानंद का रस नहीं चखे तब तक जीवन में तृप्ति का आभाव बना रहेगा । ये मानव तन केवल हरिकृपा से सुलभ होता है अतः अब जब यह दुर्लभ अवसर मिल गया है तो इस जीवन को समझने के लिये हरपल सत्संग, आत्मचिंतन करते रहिये अन्यथा ये अमूल्य जीवन हमारे हाथ से निकल जायेगा और अंत मे हमें पछतावा होता रहेगा। स्वामी राम शंकर जी के भीतर सनातन धर्म के शास्त्रो के अध्ययन की उत्कट इच्छा रही जिसके कारण आप दर्शनयोग महाविद्यालय रोजड़ गुजरात, कालवा गुरुकुल जीन्द हरियाणा,चिन्मय मिशन द्वारा संचालित गुरुकुल सांदीपनि हिमालय, तपोवन कांगड़ा हिमाचल,बिहार स्कूल ऑफ़ योग के रिखिया पीठ देवघर झारखण्ड, कैवल्य धाम योग विद्यालय लोनावला महाराष्ट्र व इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ छत्तीसगढ़ में रह कर पिछले 8 वर्षो में वेद - उपनिषद, रामायण,भगवद्गीता,योगशास्त्र व संगीत का गहन अध्ययन किया है। विद्यार्थी जीवन में स्वामी जी फिल्म अभिनेता बनना चाहते थे इसके लिये आपने अनेक नाट्य संस्थानों में अभिनय सीखा, नाटकों में रंगमंच पर अभिनय किया, साथ ही साथ विद्यार्थी जीवन के दौरान सामाजिक कार्यो में N.C.C.कैडेट के रूप में आप बेहद सक्रिय रहे। संन्यासी जीवन में आने के विषय में स्वामी जी कहते है कि उस वक्त मेरी आयु मात्र 20 वर्ष थी सच कहूँ तो मुझे पता भी नहीं था संन्यासी जीवन होता कैसा है? एक दिन की बात है मेरे परिचित श्री मनोज शर्मा जी जो उम्र में काफी बड़े थे उन्होंने कहा कि कहा तुम संन्यासी की तरह रहते हो फिर पुरे संन्यासी क्यों नहीं बन जाते, लौकिक जगत में रहोगे तो तुम्हारा सुख चैन समाप्त हो जायेगा, उन्होंने गुरुदेव का पता बताया और हम उनके पास चुपके से जा कर मिल आये, गुरुदेव ने कहा नवम्बर में तुम्हारी दीक्षा होगी 1 नवम्बर को मैं घर वालो की नज़र से छुप कर आश्रम चला गया जहा 11 नवम्बर 2008 को हमें दीक्षा प्राप्त हो गयी।
स्वामी राम शंकर की सबसे खास बात ये है कि आप हर आयु वर्ग में घुलमिल जाते है इन्ही खूबियों से आप युवाओ के मध्य अत्याधिक लोकप्रिय हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं के साथ ऑनलाइन संवाद में आप सक्रिय रहते हैं। श्रद्धालु श्रोता जन आसानी से स्वामी की के साथ जुड़ सकते हैं। आप स्वामी जी को फोन काल कर अपनी आध्यात्मिक समस्या का समाधान प्राप्त कर सकते हैं। स्वामी जी किसी संस्था का निर्माण नहीं किये, फक्क्ड़ साधू है हर पल बालवत मौज में रहते है जैसे अन्दर वैसे ही बाहर रहते हैं। न कोई मैनेजर न ही कोई बनावटी व्यवहार स्वामी राम शंकर जी अनुभव के वास्तविक धरातल पर साधनामय जीवन जीने वाले एक अद्भुत साधक संत है। श्रीराम कथा एवं श्रीमद्भागवत कथा का वाचन कर लोगो में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करने वाले स्वामी राम शंकर जी कथा सुनाने के लिये दक्षिणा के रूप में कभी धन की मांग नहीं करते। आप गांव में रहते है या शहर में आपकी अपनी क्षमता में स्वामी जी आपके मध्य निःशुल्क प्रवचन सेवा हेतु आसानी से उपलब्ध हो जाते है। आज के दौर में जहा अमूमन लोग धन के पीछे भाग रहे है धर्म सत्संग के आयोजनो में व्यापार कर रहे है ऐसे दौर में भारतवर्ष के भीतर स्वामी राम शंकर महाराज त्याग की तपोमूर्ति है। स्वामी जी को भक्तजन द्वारा स्वेच्छा से जो धन प्राप्त होता है उस धन को उसी स्थान के जरूरत मन्द लोगो में स्वामी जी वितरित कर देते है।
नोट - यह लेख लिखने का सम्पूर्ण श्रेय चंद्रशेखर गुर्जर झींगाधड़ को जाता है।