एकादशी पर चावल क्यों नहीं खाना चाहिए?

Why is eating rice prohibited on Ekadashi
Why is eating rice prohibited on Ekadashi

एकादशी पर चावल न खाने के पीछे धार्मिक नियम के साथ-साथ वैज्ञानिक नियम भी काम करता है।

हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक माह में दो एकादशी आती हैं। एक एकादशी कृष्ण पक्ष में पड़ती है और एक एकादशी शुक्ल पक्ष में। इस प्रकार अगर हम पूरे साल की गणना करें, तो एक साल में 24 एकादशी होती हैं। बहुत से लोग एकादशी का व्रत भी रखते हैं और इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। हिंदू धर्म के लोग ऐसा मानते हैं कि एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। इसलिए वह पूरे नियम और विधि-विधान से एकादशी का व्रत रखते हैं। सनातन धर्म में एकादशी के दिन से कई नियम जुड़े हैं, जिनमें से एक नियम एकादशी पर चावल न खाने का है।

एकादशी पर चावल खाना क्यों वर्जित है?

हिंदू धर्म में एकादशी के दिन चावल का सेवन करना वर्जित माना गया है। एकादशी पर चावल नहीं खाने पर कई पौराणिक कथाएं और धार्मिक कारण सुनने को मिलते हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार, ‘देवीं मां के प्रकोप से बचने के लिए महर्षि मेधा ने अपना शरीर त्याग दिया था और उनके शरीर के अंश धरती में समा गए थे। जिस जगह पर उनके अंश धरती में समाए थे, उसी जगह पर चावल की उत्पत्ति हुई और वह एकादशी का दिन था। इसलिए तब से चावल को पौधे के रूप में नहीं बल्कि जीवन के रूप में माना जाने लगा और इस दिन चावल का सेवन करने की तुलना महर्षि मेधा के अंग यानी मांस का सेवन करने से की जाने लगी।’ इसी वजह से एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित माना जाता है।

क्या है वैज्ञानिक नियम?

एकादशी के दिन चावल नहीं खाने के पीछे धार्मिक नियम के साथ-साथ वैज्ञानिक नियम भी काम करता है। विज्ञान के अनुसार चावल में पानी की मात्रा अधिक होती है और चंद्रमा का प्रभाव पानी पर ज्यादा पड़ता है। चंद्रमा को मन का कारक ग्रह माना गया है। चावल का सेवन करने से शरीर में पानी की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे व्यक्ति का मन मचलने लगता है और व्रत के नियमों में बाधा उत्पन्न होती है। इसलिए लोग एकादशी के दिन चावल का सेवन करने से परहेज करते हैं।

एकादशी के दूसरे नियम

एकादशी के दिन चावल के अलावा प्याज, लहसुन, मांस और शराब का सेवन करना भी वर्जित माना गया है। अगर आप एकादशी का व्रत रखते हैं, तो आपको झूठ भी नहीं बोलना चाहिए और न ही किसी को अपशब्द कहना चाहिए। लोग ऐसा भी मानते हैं कि एकादशी के दिन तुलसी का पौधा भी नहीं तोड़ना चाहिए।

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