हरित कुम्भ – Harit Kumbh

महाकुंभ को कचरा एवं प्लास्टिक मुक्त बनाने हेतु "एक थाली, एक थैला" अभियान

प्रयागराज महाकुंभ मेला 2025

महाकुंभ, जो हर 12 वर्षों में आयोजित होता है, इस बार यह उत्तर प्रदेश के प्रायजराज में 13 जनवरी 2025 से आरंभ होगा। एक विशाल धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन है, जहां लाखों श्रद्धालु एकत्र होते हैं। इस मौके पर विशेष रूप से स्वच्छता और पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर कई पहल की जाती हैं। इस बार, महाकुंभ में कचरा और प्लास्टिक मुक्त वातावरण बनाने के लिए एक नया अभियान "एक थाली, एक थैला" लॉन्च किया गया है।

अभियान का उद्देश्य

इस अभियान का उद्देश्य कुंभ मेला क्षेत्र में आने वाले श्रद्धालुओं और साधुओं को प्लास्टिक के उपयोग से बचाना है। "एक थाली, एक थैला" का मतलब है कि हर व्यक्ति को अपनी खाने-पीने की चीजों के लिए एक स्टील या मिट्टी की थाली और एक कपड़े का थैला लाना होगा, जिससे प्लास्टिक का उपयोग कम से कम हो सके।

अभियान की शुरुआत

अभियान की शुरुआत राज्य सरकार और पर्यावरण विभाग द्वारा की गई है। इसके तहत, मेले के प्रमुख स्थानों पर प्लास्टिक उपयोग को प्रतिबंधित करने के लिए कड़े नियम लागू किए गए हैं। इसके साथ ही, श्रद्धालुओं को जागरूक करने के लिए प्रचार-प्रसार अभियान चलाया जा रहा है।

नागरिकों को जागरूक करना 

अभियान को सफल बनाने के लिए विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों और स्थानीय समुदायों ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई है। हजारों जागरूक नागरिकों ने "एक थाली, एक थैला" के संदेश को फैलाने में मदद की है। इसके अलावा, कचरा संग्रहण केंद्रों और पुनः उपयोग योग्य कंटेनरों की व्यवस्था भी की गई है।

 अभियान को धार्मिक स्थलों पर लागू करना 

इस अभियान ने केवल महाकुंभ को ही नहीं, बल्कि पूरे देश को कचरा और प्लास्टिक मुक्त वातावरण की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाया है। यदि इस तरह की जागरूकता अन्य धार्मिक मेलों और सार्वजनिक आयोजनों में भी फैलाई जाए, तो हमारा पर्यावरण स्वच्छ और सुरक्षित बन सकता है।

"एक थाली, एक थैला" अभियान की सफलता से यह संदेश मिलता है कि छोटे-छोटे कदमों से बड़े बदलाव संभव हैं। हमें अपनी आदतों में बदलाव लाकर, पर्यावरण की रक्षा के लिए जिम्मेदार बनना होगा। महाकुंभ का यह स्वच्छता अभियान एक आदर्श बन सकता है, जिसे अन्य जगहों पर भी अपनाया जा सकता है।