हिन्दू धर्म के अनुसार, श्रावण माह अत्यंत पवित्र महीना माना जाता है। आम बोलचाल की भाषा में श्रावण को ‘सावन’ के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है की सावन माह भगवान शिव को बहुत-ही प्रिय है।
भगवान शिव को समर्पित श्रावण का महीना करीब 19 साल बाद 2023 में दो महीने के लिए मनाया जाएगा और इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है अधिकमास।
सनातन धर्म में श्रावण को वस्तुतः शिवत्व के अनुरूप वर्ष का सबसे पवित्र महिना माना जाता है, तथा साप्ताहिक दिन सोमवार को शिव की उपासना का दिन माना गया है। इस प्रकार श्रावण माह के सोमवार की महत्ता और भी अधिक हो जाती है।
इस बार सावन में अनोखा संयोग बन रहा है। दरअसल, 17 जुलाई, द्वितीय सोमवार, को ‘सोमवती अमावस्या’, ‘हरियाली अमावस्या’ तथा ‘श्रावण अमावस्या’ एक साथ पड़ रहे हैं।
सोमवार के दिन आने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। गणित के प्रायिकता सिद्धांत के अनुसार अमावस्या वर्ष में एक अथवा दो बार ही सोमवार के दिन हो सकती है। इस कारण ‘सोमवती अमावस्या’ की अत्यधिक मान्यता है।
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, सोमवती अमावस्या का एक विशेष महत्त्व है। सोमवती अमावस्या की पूजा से जुड़ी कुछ भिन्न-भिन्न मान्यताएँ हैं।
प्रथम मान्यता के अनुसार: सोमवती अमावस्या के दिन महिलाएँ तुलसी जी की 108 परिक्रमा लगाते हुए कोई भी वस्तु / फल दान करने का संकल्प लेतीं हैं।
दूसरी मान्यता के अनुसार: सोमवती अमावस्या के दिन महिलाएँ पीपल के वृक्ष की भँवरी (108 परिक्रमा) करतीं हैं, तथा अखंड सौभाग्य की कमाननाएँ करती हैं। साथ ही साथ, श्री गौरी-गणेश एवं सोमवती व्रत कथा पाठ के साथ वस्तु अथवा फल दान करने का संकल्प लेतीं हैं। चूँकि, पीपल के पेड़ में सभी देवों का वास माना गया है, अतः इस मत के अनुसार पीपल की पूजा की जाती है।
सावन माह में भारत के प्रत्येक प्रांत में हरियाली ही हरियाली दिखाई पड़ती अतः इस प्राकृतिक संवृद्धि को समर्पित इस त्यौहार को अमावस्या तिथि के साथ मानने के कारण इसे हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है। हरियाली अमावस्या को श्रावणी अमावस्या अथवा श्रावण अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।
हरियाली अमास्या, श्रावण शिवरात्रि के एक दिन बाद तथा शुक्ल पक्ष में आने वाली हरियाली तीज से तीन दिन पहिले मनाई जाती है। भारत के उत्तरी राज्यों जैसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश में हरियाली अमावस्या बहुत प्रसिद्ध है। परन्तु महाराष्ट्र में इसे गतारी अमावस्या, आंध्र प्रदेश में इसे चुक्कल अमावस्या, तमिलनाडु में इसे आदि अमावसई के नाम से जाना जाता है और उड़ीसा में इसे चीतालागि अमावस्या के रूप में जाना जाता है।
सावन माह में आने वाले अमावस्या को श्रावण अमावस्या के नाम से जानते हैं। इस बार यह दूसरे सोमवार (17 जुलाई) को पड़ रहा है। इस दिन दान-पुण्य का बहुत महत्त्व है। इस दिन कई लोग ‘पितृ पूजा’ भी करते हैं।