तुलसी (Tulsi) के पौधे के औषधीय एवं धार्मिक गुणों की पूजा लगभग हर भारतीय करते हैं। इस जन भावना को भारत सरकार के केंद्रीय मंत्रीगण, साधु-संत और आम लोग अनौपचारिक रूप से 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस के रूप मे मनाने लगे हैं। 25 दिसंबर (25th December) को तुलसी पूजन दिवस (Tulsi Pujan Diwas) मनाए जाने के कोई पौराणिक प्रमाण या तर्क नहीं है।
क्या तुलसी पूजन दिवस, क्रिसमस का भारतीय रूप है?
क्रिसमस (Christmas) ईसाइयों का सबसे प्रसिद्ध त्योहार है तथा दुनियाँ मे सबसे ज़्यादा मनाए जाने वाले त्योहारों मे से एक भी है। यह त्योहार एक क्रिसमस ट्री (Christmas Tree) के इर्द-गिर्द मनाया जाता है, जो कि जनमानस का प्रकृति तथा पेड़ों के प्रति अनन्य प्रेम दर्शाता है।
भारत मे क्रिस्मस ट्री की उपलब्धता बहुत कम है अतः इस पर्व को मानने के लिए कृत्रिम पेड़ का सहारा लेना पड़ता है। अतः अधिकतर लोग प्लास्टिक अथवा पेपर जैसी अन्य अप्राकृतिक चीजो से बने पेड़ अपने घरों मे लेकर आते हैं। इस उपलब्धता की चिनौती को भारतीय परिपेक्ष से समाधान के लिए यहाँ के सबसे गुणकारी पौधे से रीप्लेस करते हुए पूजा जाने लगा। अतः तुलसी पूजन दिवस, क्रिसमस का भारतीय रूप भी कहा जा सकता है।
क्या तुलसी पूजन दिवस, क्रिसमस का विरोध है?
चूँकि तुलसी पूजन दिवस को मानने के लिए क्रिसमस जैसे बड़े उत्सव को चुना गया, इस कारण कभी-कभी पूजन दिवस मानने में सड़यंत्र की बू आती सी दिखती है। परंतु इसके पीछे कोई ठोस प्रमाण भी नहीं मिलते हैं।
लेकिन क्रिसमस जैसे विश्वव्यापी उत्सव का किसी भी प्रकार का विरोध करना किसी भी सभ्यता के लिए कहीं तक भी उचित नहीं है।
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तुलसी पूजन दिवस