ओडिशा संस्कृति और समृद्धि के मामले में भारत का प्रसिद्ध राज्य है। ओडिशा राज्य में ऐसे महान व्यक्तित्वों ने जन्म लिया है जिन पर केवल ओडिशा ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारत गर्व महसूस कर सकता है। ओडिशा के इन महान व्यक्तियों ने साहित्य, शिक्षा, धर्म, राजनीति, समाज सेवा, खेल इत्यादि जैसे तमाम क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य किया है। आइए ओडिशा राज्य के इन महान व्यक्तित्वों के बारे में जानते हैं।
चंद्र सेखर बहरा का नाम ओडिशा के महान व्यक्तित्वों में शामिल है। उनका काम और उनका अनुभव आज भी बहुत से लोगों को प्रेरित करता है। चंद्र सेखर बहरा एक महान स्वतंत्रता सैनानी थे, जिनका असहयोग आंदोलन में विशेष योगदान रहा है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उनकी भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता। बाद में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के सदस्य बन गए थे। सम्बलपुर राष्ट्रीय विद्यालय की स्थापना भी इन्होने ही की थी।
वह आदिवासी स्वतंत्रता सैनानी होने के साथ ही धर्म गुरु भी रहे हैं। उनके द्वारा दिए गए नारों को आज भी भारत के तमाम राज्यों में याद किया जाता है जिनमें बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश का नाम शामिल है।
रामा देवी स्वतंत्रता सैनानी होने के साथ ही समाज सुधारक भी थी। ओडिशा राज्य की जनता उन्हें 'माँ' कहकर सम्बोधित करती थी। रमा देवी महिला विश्वविद्यालय का नाम भी उन्ही के नाम पर रखा गया है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में रमा देवी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। गाँव - गाँव जाकर उन्होंने महिलाओं को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया था। नमक सत्याग्रह में भी उनकी महत्चपूर्ण भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता।
ओड़िया कविता के आधुनिकीकरण में नंद किशोर बल का विशेष योगदान है। उनकी कविताओं में ग्रामीण ओडिशा के प्राकृतिक सौन्दर्य के दर्शन होते हैं। उन्हें पल्ली कवि के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने अपनी कविताओं में ओडिशा के त्यौहारों, अंधविश्वासों और साधारण जीवन को विशेष स्थान दिया है। पल्ली चित्रा, तरंगिणी, निर्मल्या, प्रभात संगीता और कृष्णा कुमारी उनकी कुछ प्रसिद्ध कविताएँ हैं।
रमेश चंद्र परिदा ओडिशा विश्वविद्यालय में कॉलेज ऑफ़ साइंस एंड ह्यूमेनिटीज़ में रसायन विज्ञान के प्राध्यापक रह चुके हैं। ओडिशा में उन्हें वैज्ञानिक साहित्य के लेखक के रूप में जाना जाता है। उनके शोध का मुख्य विषय चावल में पाए जाने वाले प्रोटीन पर केंद्रित है। उन्होंने इस विषय पर 20 शोध पत्रों को प्रकाशित भी करवाया है। उत्कल विश्वविद्यालय से उन्हें पीएचडी की उपाधि प्राप्त हुई है।