संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 25 देशों के करीब 30 करोड़ लोग मानवीय आपदाओं (humanitarian disasters) में फंसे हैं, जिन्हें बाहरी सहायता की बहुत आवश्यकता है।
विश्व के लगभग 25 देशों में मानवीय आपदाएं या संकट विकट रूप ले रहे हैं। इनमें सूडान, इथियोपिया, एरिटेरिया, नाइजीरिया, अंगोला, सोमालिया, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, यमन, सीरिया, अफगानिस्तान, म्यांमार व हैती आदि देशों के लगभग 30 करोड़ लोग शामिल हैं। यह मानवीय संकट कितनी तेजी से बहुत गंभीर हो सकता है, इसका एक उदाहरण सूडान है। लोकतंत्र की स्थापना का इंतजार कर रहे इस देश में दो सैन्य जनरलों ने आपस में ही लड़ने की ठान ली और देश को एक नए गृहयुद्ध में धकेल दिया। यहां लगभग 80 लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं। गाजा एक दूसरा उदाहरण है, जहां बहुत तेजी से मानवीय त्रासदी ने गंभीर रूप ले लिया है।
संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024 में लगभग 30 करोड़ लोग ऐसी मानवीय आपदाओं में फंसे हैं, जिन्हें बाहरी सहायता की बहुत आवश्यकता है। पिछले वर्ष यह संख्या इससे कुछ कम थी, तो संयुक्त राष्ट्र के ऑफिस फॉर कोऑर्डिनेशन ऑफ ह्यूमेनिटेरियन एसिस्टेंस ने इसके लिए 57 अरब डॉलर की आवश्यकता का अनुमान लगाया था, लेकिन यह राशि एकत्र करने के तमाम प्रयासों के बावजूद सिर्फ 20 अरब डॉलर ही एकत्र की जा सकी। दूसरे शब्दों में, जितनी जरूरत थी, उससे एक तिहाई धनराशि ही मानवीय आपदाओं में सहायता प्रदान करने के लिए एकत्र की जा सकी।
वर्ष 2023 में विश्व का सैन्य बजट 2,400 अरब डॉलर था। वहीं, मानवीय आपदाओं में जरूरी राहत के लिए जो राशि एकत्र हो सकी, वह विश्व के सैन्य बजट का केवल 0.8 प्रतिशत थी। मानवीय आपदाओं में सहायता के लिए धनराशि के अभाव के कारण भूख व अन्य जरूरतों से बुरी तरह त्रस्त परिवारों के लिए खाद्य व अन्य राहत सामग्री नहीं पहुंच सकी व जिन समुदायों तक यह सहायता पहले पहुंच रही थी, उसे भी कई बार अचानक रोकना पड़ा। इस स्थिति को देखते हुए वर्ष 2024 के लिए सहायता राशि एकत्र करने के लक्ष्य को 57 अरब डॉलर से घटा कर 46 अरब डॉलर कर दिया गया।
इस समय तक यह अनिश्चय की स्थिति है कि यह धनराशि किस हद तक जुटाई जा सकेगी। वर्ष 2023 में विश्व खाद्य कार्यक्रम के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष डेविड बीजली ने कहा कि कोविड के जिस दौर में अरबपतियों की धनराशि में प्रतिदिन अरबों डॉलर की वृद्धि हो रही थी, उसी दौर में प्रतिदिन भूख से 24,000 व्यक्तियों की मृत्यु भी हो रही थी।
विश्व खाद्य कार्यक्रम को भी खाद्य सहायता कार्यक्रमों के लिए जरूरी संसाधनों की कमी पड़ रही है। मानवीय आपदाओं के लिए बेहतर धनराशि जुटाने के साथ ही यह भी ध्यान देने की जरूरत है कि इन मानवीय आपदाओं को किस तरह कम किया जाए। इनके बारे में उपलब्ध ज्यादातर दस्तावेजों में प्रायः दो कारण सबसे अधिक महत्वपूर्ण बताए गए हैं। पहला कारण है युद्ध, गृहयुद्ध व अन्य व्यापक स्तर की हिंसा। दूसरा जलवायु बदलाव के दौर में मौसम का अधिक प्रतिकूल होना व प्राकृतिक आपदाओं का विकट होना, लेकिन इसके अतिरिक्त एक तीसरे कारण पर भी ध्यान देना जरूरी है और वह है तरह-तरह के अन्याय और विषमता। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कांगो, जहां के जनपक्षधर नेता लुमुम्बा की हत्या कर दी गई, वहां अत्याचारी तानाशाह मोबुतु को भरपूर बाहरी समर्थन मिलता रहा।
इन विकट स्थितियों में अमन-शांति, न्याय व पर्यावरण रक्षा के प्रयास बहुत मजबूत होने पर ही ऐसी मानवीय त्रासदियों की संभावना को कम किया जा सकेगा। इसके साथ राहत सामग्री व इसके लिए जरूरी धनराशि को बढ़ाना भी बहुत जरूरी है। राहत सामग्री जरूरतमंद लोगों तक भली-भांति पहुंच सके, इसके लिए अमन-शांति व सुलह-समझौते के प्रयास भी अत्यावश्यक हैं।