शरद विषुव – Autumn Equinox : 23 सितम्बर
23 सितंबर को भी सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर लंबवत होती हैं और दिन एवं रात की अवधि समान होती है। इस तिथि को ‘शरद विषुव’ कहते हैं।
शरद विषुव, ग्रीष्म और शीतकालीन संक्रांति के बीच का मध्य बिंदु है और उस सटीक क्षण को चिह्नित करता है जब सूर्य सीधे पृथ्वी के भूमध्य रेखा पर दिखाई देता है। विषुव का सटीक समय हर साल बदलता रहता है।
क्या होता है विषुव?
- पृथ्वी की दो स्थितियाँ ऐसी हैं जो 21 मार्च और 23 सितंबर को होती हैं जब भूमध्य रेखा पर सूर्य की सीधी किरणें पड़ती हैं और पूरे विश्व में दिन और रात बराबर होते हैं। इन स्थितियों को विषुव के रूप में जाना जाता है।
- वसंत विषुव 21 मार्च को और शरद ऋतु विषुव 23 सितंबर को होता है।
- 23 सितंबर को उत्तरी गोलार्ध में पतझड़ का मौसम और दक्षिणी गोलार्ध में बसंत का मौसम होता है। 21 मार्च को विपरीत स्थिति है जब उत्तरी गोलार्ध में वसंत और दक्षिणी गोलार्ध में शरद ऋतु होती है।
- विषुव प्रत्येक वर्ष 20 मार्च और 23 सितंबर को होता है, और दोनों दिनों में दिन और रात की समान लंबाई होती है। किसी भी भ्रम से बचने के लिए विषुव को मार्च विषुव (उत्तरी विषुव) और सितंबर विषुव (दक्षिणी विषुव) कहा जाता है।
विषुव क्या होता है?
पृथ्वी की दो स्थितियाँ ऐसी हैं जो 21 मार्च और 23 सितंबर को होती हैं जब भूमध्य रेखा पर सूर्य की सीधी किरणें पड़ती हैं और पूरे विश्व में दिन और रात बराबर होते हैं। इन स्थितियों को विषुव के रूप में जाना जाता है।
शरद विषुव क्या है?
23 सितंबर को भी सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर लंबवत होती हैं और दिन एवं रात की अवधि समान होती है। इस तिथि को ‘शरद विषुव’ कहते हैं।