भारतीय एथलीटों ने सोमवार को पेरिस पैरालिंपिक में अद्भुत प्रदर्शन करते हुए दो स्वर्ण सहित सात पदक जीते। बैडमिंटन कोर्ट से लेकर ट्रैक एंड फील्ड तक भारतीय एथलीटों का दम दिखा।
बैडमिंटन में सोमवार को जहां नितेश कुमार ने एसएल-3 स्पर्धा में स्वर्ण पदक से भारत का खाता खोला तो सुहास यतिराज ने एसएल-4 व थुलसमिथि मुरुगेसन ने महिलाओं की एसयू-5 स्पर्धा में रजत पदक जीते। एसयू-5 स्पर्धा में मनीषा रामदास ने कांस्य पदक भारत की झोली में डाला। पुरुषों की एफ-64 भाला फेंक स्पर्धा में सुमित अंतिल ने फिर स्वर्ण पदक जीता तो चक्का फेंक एथलीट योगेश कथुनिया ने एफ-56 स्पर्धा में रजत पदक जीता। पेरिस पैरालिंपिक में भारत के 14 पदक हो गए हैं, जिनमें तीन स्वर्ण, पांच रजत और छह कांस्य हैं।
सुमित ने 70.59 मीटर दूरी तक भाला फेंककर पैरालिंपिक में नया रिकार्ड बनाया। इस स्पर्धा का विश्व रिकार्ड भी अंतिल के नाम है, जो उन्होंने हांगझू पैरा पशियाई खेलों में 73.29 मीटर भाला फेंका था। नीरज की तरह ही टोक्यो में सुमित अंतिल ने भी भाला फेंक स्पर्धा में भारत के लिए स्वर्ण जीता था। इस बार पेरिस में दोबारा स्वर्ण जीतकर उन्होंने इतिहास रच दिया। उनका दबदबा इस स्पर्धा में ऐसा था कि उन्होंने टोक्यो के अपने रिकार्ड को तीन बार तोड़ा और उनके प्रतिद्वंद्वी उनके पिछले रिकार्ड के बराबर भी नहीं पहुंच सके। सुमित ने पहले ही प्रयास में 69.11 मीटर के थ्रो के साथ अपना पुराना रिकार्ड तोड़ दिया। सके बाद दूसरे प्रयास में उन्होंने 70.59 मीटर दूर भाला फेंककर पेरिस पैरालिंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।
पेरिस में चल रहे पैरालिंपिक गेम्स की चक्का फेंक एफ-56 स्पर्धा में बहादुरगढ़ निवासी योगेश कधुनिया ने रजत पदक हासिल किया है। टोक्यो के बाद यह उनका लगातार इसी स्पर्धा में दूसरा रजत पदक है। योगेश के रजत को लेकर उनकी मां मीना देवी ने कहा कि योगेश मेरे लिए किसी हीरो से कम नहीं है।
मां ने कहा, 'योगेश ने पदक चाहे कोई भी जीता हो लेकिन मेरे लिए वह सोने से कम नहीं है। 2006 में पैरालाइज होने के बाद उनकी माँ ने और परिवार ने उनका आत्मविश्वास बढ़ाया।
योगेश कथुनिया ने एफ-56 चक्का फेंक स्पर्धा में 42.22 मीटर के सत्र के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ सोमवार को पेरिस पैरालिंपिक में रजत पदक जीता। इससे पहले योगेश ने टोक्यों में भी रजत जीता था। ब्राजील के क्लाङनी बतिस्ता डास सेंटोस ने अपने पांचवें प्रयास में 46.86 मीटर की दूरी के साथ इन खेलों का नया रिकार्ड बनाते हुए पैरालिंपिक में स्वर्ण पदक की हैटट्रिक पूरी की।
भारतीय तीरंदाज शीतल देवी और राकेश कुमार की जोड़ी ने सोमवार को पेरिस पैरालिंपिक में मिक्स्ड टीम कंपाउंड ओपन तीरंदाजी स्पर्धा इटली के मातेओ बोनासिना और एलेओनोरा सारती को 156- 155 से हराकर कांस्य पदक जीता।
जन्म से दोनों बाजू नहीं होने के बावजूद निशाने पर निगाह गड़ाए शीतल जब पैरों से निशाना साधती है तो उनका हौसला देख आंख झपकने का भी दिल नहीं करता। शीतल बचपन से ही ऐसी बीमारी से ग्रस्त हैं जिसमें उनकी दोनों बाजू विकसित नहीं हो पायी। लेकिन अपने हौंसलों के दम पर शीतल पूरी दुनिया की आंख का तारा बन गयी हैं।
कटड़ा के छोटे से गांव नदाली के राकेश कुमार प्लंबर का कार्य करते थे। वर्ष 2009 में जम्मू से घर लौटते समय नगरोटा के पास हादसे में रीढ़ की हड्डी में चोट लग गई। वर्ष 2017 जुलाई में जीवन ने नया मोड़ लिया जब श्राइन बोर्ड के नारायणा अस्पताल जाते हुए कोच कुलदीप कुमार से मिलना हुआ। उन्होंने प्रोत्साहित किया और यहीं से राकेश के जीवन की दिशा बदल गई और उन्होंने पैरालिंपिक में पदक जीत इतिहास रचा दिया।
कहा जाता है कि काबिलियत किसी की मोहताज नहीं होती। मूल रूप से हरियाणा के चरखी दादरी निवासी और करनाल के कर्ण स्टेडियम में बैडमिंटन के सीनियर कोच नितेश कुमार ने इस कसौटी पर खुद को बखूबी साबित कर दिखाया है। पिता नौसेना में थे। उनकी राह पर चलते हुए नितेश भी देश सेवा के लिए सेना में जाना चाहते थे, लेकिन ट्रेन हादसे के बाद इसी चाह ने पदक की राह तय करने में उनकी मदद की। नितेश ने अपनी लगन व मेहनत के बल पर पेरिस पैरालिंपिक में आयोजित बैडमिटन सिंगल्स एसएल 3 प्रतिस्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया। ऐसा करने वाले वह पहले भारतीय बन गए है। सोमवार को नितेश ने एसएल 3 के कड़े मुकाबले में ब्रिटेन के डेनियल बेथेल को 21-14, 18-21, 23-21 से हराया।