फूलदेई पर्व उत्तराखंड राज्य का एक विशेष त्यौहार है। इस पर्व को गढ़वाल में फूल संग्राद और कुमाऊं में फूलदेई कहा जाता है। इसके अतिरिक्त छम्मा देई, दैणी द्वार, फूल संक्रांति, फूल संग्राद, चैत्र संक्रान्ति, आदि नामों से भी इस पर्व को सम्बोधित किया जाता है। यह पर्व स्थानीय कैलेंडर के चैैत्र मास के प्रथम तिथि को मनाया जाता है। इस कारण से यह प्रत्येक वर्ष मार्च के महीने में 14 या 15 तारीख को पड़ता है। यह त्यौहार वसंत ऋतु के आगमन का भी प्रतीक है। इसे फूल संक्रांति भी कहा जाता है।
इस साल अर्थात 2024 में फूल देई गुरुवार, 14 मार्च 2024 को है।
पर्व / त्यौहार | फुलदेई |
संबंधित अन्य नाम | फुलदेई, छम्मा देई, दैणी द्वार, फूल संक्रांति, फूल संग्राद, चैत्र संक्रान्ति |
शुरुआत तिथि | मीन संक्रांति |
कारण | सूर्य का मीन राशि में आगमन |
उत्सव विधि | बच्चे चौखट पर फूल रखते हैं |
इस दिन छोटे बच्चे फूलदेई, छम्मा देई गीत गाते हुए सुबह-सवेरे ही अपने घरों से निकल पड़ते हैं। बच्चे अपनी डलिया में रंगबिरंगे फूल लेकर लोगों की देहरियों (चौखट, दहलीज) पर रखते हैं और सुख-समृद्धि की मंगलकामना के साथ यह गीत गाते हैं। बच्चों द्वारा मनाए जाने के कारण फूलदेई को लोक बालपर्व भी कहा जाता है। चौखट पर फूल रखने वाले बच्चों को फुलारी कहा जाता हैं।
फूल देई, छम्मा देई गीत का अर्थ - Phool Dei Song Lyrics
फूल देई - देहरी, फूलों से भरपूर और मंगलकारी हो
छम्मा देई - देहरी, क्षमाशील हो
दैणी द्वार - द्वार, घर व समय सबके लिए दांया अर्थात सफल हो
भरि भकार - सबके घरों में अन्न का पूर्ण भंडार हो
अधिकांश हिंदू त्यौहार चंद्रमा की स्थिति के अनुसार मनाये जाता हैं जिस कारण से उनकी एक निश्चित तिथि निर्धारित रहती है। परंतु संक्रांति पर आधारित त्यौहार सूर्य के चारों तरफ प्रथ्वी के चक्र की स्थति के अनुसार मनाए जाते है। इसलिए हिंदू पंचांग के अनुसार कोई तय तिथि निर्धारित नहीं की जा सकती है। अतः फूलदेई त्यौहार हिन्दी माह फाल्गुन अथवा चैत्र मे से किसी भी माह मे हो सकता है।