पहले ई-कार, फिर ई-बाइक और अब ई-विमान (Planes will fly on batteries). कार्बन उत्सर्जन से पर्यावरण को बचाने के लिए वैज्ञानिक और विमानन कंपनियां अब इलेक्ट्रिक विमान तैयार करने में जुटी हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही ई-विमान उड़ान भरने लगेंगे।
जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संकट के बीच दुनिया स्वच्छ ईधन की तरफ बढ़ रही है। ई-कार, ई-बाइक के आगे अब इलेक्ट्रिक विमान पर बात होने लगी है। दुनिया का पहला और एकमात्र इलेक्ट्रिक विमान 'पिपिस्ट्रेल बेलिस इलेक्ट्रो उड़ान भी भर चुका है, लेकिन इलेक्ट्रिक विमानों का व्यापक उपयोग अभी संभव नहीं हुआ है। सुरक्षा समेत अन्य पहलुओं पर अभी अनुसंधान चल रहा है।
दो सीटर इलेक्ट्रो की बात करें तो यह बहुत कम दूरी तक ही उड़ान भरने में सक्षम है। अभी यह इंग्लिश चैनल पार करने की स्थिति में भी नहीं है। सबसे लंबी अटलांटिक हवाई यात्रा तो कल्पना में भी नहीं है। बड़े यात्री विमानों की तुलना में अभी यह कहीं नहीं टिकता है। कंपनी इसके जिस नए वैरिएंट पर काम कर रही है, वह भी 370 किलोमीटर रेंज के साथ चार सीटर है। एक इस्राइली कंपनी नी सोटर इलेक्ट्रिक विमान के प्रोटोटाइप की उड़ान भर चुकी है, लेकिन सामान्य उड़ान का अभी इंतजार है। कुछ अन्य कंपनियों ने भी प्रयास किया, लेकिन यह प्रोटोटाइप तक ही सीमित है।
58 किलोवाट इलेक्ट्रिक मोटर से चलने वाला "पिपिस्ट्रेल बेलिस इलेक्ट्रो' 20 मिनट रिजर्व के साथ कुल 50 मिनट तक उड़ान भर सकता है और अधिकतम 185 किलोमीटर रेंज तय करता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत दो हल्की लीथियम बैटरी हैं, जो ई-विमान में गेम चेंजर हैं। लीथियम बैटरी पारंपरिक बैटरियों की तुलना में हल्की होती है और जल्दी गरम नहीं होती। लेबी हवाई यात्रा में बैटरी का भारी और जल्दी गरम होना, सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक है।
बैटरी चालित विमान की एक खासियत यह भी है कि इसके इंजन को गरम नहीं करना पड़ता। यह ईंधन युक्त विमानों की तुलना में बहुत कम शोर के साथ तुरंत उड़ान भर लेता है। बैटरी इसके इंजन को तुरंत उड़ान भरने के लिए पावर प्रदान करती है, ठीक उसी तरह जैसे कार और बाइक पावर मिलती है। इससे इंधन और कार्बन उत्सर्जन, दोनों की बचत होगी।
इलेक्ट्रिक विमान की दिशा में दो महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। ये दोनों ही इलेक्ट्रिक विमानन को दशा और दिशा तय करने में काफी महत्वपूर्ण हैं। इनमें पहला है नीदरलैंड के स्टार्टअप एलिसियन एयरक्राफ्ट का 'ई०एक्स कॉन्सेप्ट विमान', जो कि 2033 में उड़ान भरेगा। यह 90 यात्रियों के साथ 800 किलोमीटर को रेंज तय करेगा। दूसरा है अमेरिकी स्टार्टअप राइट इलेक्ट्रिक, जो ईजीजेट के साथ मिलकर 180 सीटर विमान तैयार कर रहा है।
इस साल के अंत तक गत वर्ष की तुलना में हवाई परिवहन की मांग दोगुनी होने का अनुमान है। यह हवाई परिवहन में डीकार्बोनाइजिंग के बढ़ने का संकेत करता है। वर्तमान में भले ही विमानन कुल वैश्विक कार्बन उत्सर्जन का केवल ढाई प्रतिशत हो, लेकिन यह तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में इसे रोकने की दिशा में भी इलेक्ट्रिक विमान पहला विकल्प दिखते हैं।