ओडिशा ट्रेन हादसे में NDRF टीम की निस्वार्थ सेवा, जानिए इनके बारे में?

ओडिशा ट्रेन हादसे में NDRF टीम की निस्वार्थ सेवा, जानिए इनके बारे में?

बाढ़ से भूकंप तक निःस्वार्थ सेवा के लिए NDRF सदा तैयार खड़ा रहता है। ट्रेन हादसे वाली जगह पर भयावह मंजर था और हर तरफ से चीख-पुकार की आवाजें सुनाई दे रही थीं। कहीं यात्री खून से लथपथ थे तो कहीं अपनों की तलाश में होश खो बैठे थे। ऐसी परिस्थितियों के बावजूद एनडीआरएफ ने मजबूती के साथ मोर्चा संभाला।

एनडीआरएफ निःस्वार्थ सेवा के लिए रहता है सदैव तत्पर

ओडिशा के बालासोर में तीन ट्रेनों का एक्सीडेंट हो गया था। इस हादसे के तुरंत बाद नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स यानी एनडीआरएफ ने तेजी से मोर्चा संभाला। हादसे के महज सवा घंटे के भीतर एनडीआरएफ की पहली टीम मौके पर पहुंच गई और तत्काल प्रभाव से राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया।

इतनी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद एनडीआरएफ ने बड़े पैमाने पर रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी दिखाई और देखते ही देखते आठ टीमों ने मोर्चा संभाल लिया। इस बचाव अभियान में 300 से अधिक कर्मी शामिल थे। बीते शुक्रवार को हुए हादसे में 275 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 1100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।

NDRF बना देवदूत 

देश के साथ-साथ विदेशों में भी अपनी क्षमता साबित कर चुकी है एनडीआरएफ। जापान, नेपाल, तुर्की, सीरिया समेत कई देशों में अपनी सेवाएं दे चुकी है। बाढ़, तूफान, भूकंप जैसी हर प्राकृतिक आपदा के पीड़ितों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहने वाली एनडीआरएफ ने अपने विशेष प्रशिक्षण के दम पर 17 साल में देश और विदेश में 2000 से ज्यादा ऑपरेशन सफलतापूर्वक पूरे किए हैं, जिसकी वजह से एनडीआरएफ की पूरी दुनिया में काफी सराहना हो रही है।

एनडीआरएफ की जरूरत क्यों पड़ी?

90 का दशक हो या उसके बाद का दशक, देश ने कई आपदाओं का सामना किया है। जिसमें ओडिशा चक्रवात 1999, गुजरात भूकंप 2001, हिंद महासागर सुनामी 2004 जैसी गंभीर आपदाएं शामिल हैं। इन आपदाओं से सबक लेते हुए त्वरित प्रतिक्रिया के लिए एनडीआरएफ का गठन किया गया।

एनडीआरएफ की स्थापना वर्ष 2006 में आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत 6 बटालियनों के साथ की गई थी। एनडीएमए का अध्यक्ष देश का प्रधानमंत्री होता है।

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