पितृ पक्ष : पितृ पक्ष के दौरान क्या करें और क्या न करें

पितृ पक्ष : पितृ पक्ष के दौरान क्या करें और क्या न करें

पितरों को प्रसन्न करने के लिए पितृ पक्ष का महीना सबसे शुभ माना जाता है। पितृ पक्ष के दौरान पूरे विधि-विधान से पितरों का तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, लेकिन अगर पितर नाराज हो जाएं तो व्यक्ति को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। अब ऐसे में कुछ चीजें हैं जिन्हें इस समय करने से बचना चाहिए।

पितृ पक्ष के दौरान करें ये काम

  • पितृ पक्ष के दौरान शाम के समय सरसों के तेल या गाय के घी का दीपक जलाएं और दीपक जलाते समय दीपक का मुख दक्षिण दिशा की ओर रखें।
  • पितृ पक्ष के दौरान प्रतिदिन अपने पितरों को तर्पण अवश्य करें और यदि संभव हो तो किसी ब्राह्मण को भोजन अवश्य कराएं।
  • पितृ पक्ष के दौरान पितृ गायत्री मंत्र का जाप करें। इससे व्यक्ति को पितृदोष से मुक्ति मिल सकती है।
  • श्राद्ध के दिन ब्राह्मणों या गरीबों को भोजन कराएं और उनका आशीर्वाद लें। इससे व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं।

पितृ पक्ष के दौरान भूलकर भी न करें ये काम

  • पितृ पक्ष के दौरान कोई भी शुभ कार्य करने से बचना चाहिए। इससे अशुभ परिणाम मिल सकते हैं।
  • पितृ पक्ष के दौरान भूलकर भी कोई नई चीज घर न खरीदें और न ही घर लाएं। इसे अशुभ माना जाता है।
  • पितृ पक्ष के दौरान तामसिक भोजन खाने से बचें और किसी भी व्यक्ति को अपशब्द कहने से बचें।
  • पितृ पक्ष के दौरान बाल, दाढ़ी और नाखून नहीं काटने चाहिए। इससे आर्थिक नुकसान होने की संभावना अधिक हो जाती है और व्यक्ति को कई परेशानियां होने लगती हैं।

जानिए पितृ पक्ष के नियम

  • शास्त्रों के अनुसार कहा गया है कि श्राद्ध बड़े या छोटे पुत्र को कराना चाहिए।
  • पितरों का श्राद्ध करने से पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
  • पितृ पक्ष के दौरान कुश घास से बनी अंगूठी पहनें और अपने पितरों का आह्वान करें।
  • पिंडदान करते समय जौ के आटे, तिल और चावल से बनी गोल लोई का प्रसाद दें।
  • ऐसा माना जाता है कि पिंडदान और तर्पण जैसे श्राद्ध कर्म किसी अच्छे विद्वान ब्राह्मण से ही करवाने चाहिए। इससे पितरों को तृप्त किया जा सकता है।
  • श्राद्ध कर्म में पितरों के साथ-साथ गाय, कुत्ते, कौवे और पशु-पक्षियों के लिए भी भोजन का एक अंश अवश्य निकालना चाहिए। इससे पितर प्रसन्न हो सकते हैं।

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