साल 2024 का पहला सूर्य ग्रहण लग गया है और यह पिछले 5 दशकों में सबसे लंबा पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा। हालाँकि, सौर मंडल में अपनी स्थिति के कारण आदित्य एल1 इस सौर घटना को नहीं देख पाएगा। आइये जाने इसकी असल वजह..
8 अप्रैल 2024 को तीन देशों, कनाडा, अमेरिका और मैक्सिको में पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखाई दे रहा है। यह मुख्य रूप से तीन महाद्वीपों में 180 किमी तक फैला होगा और लगभग ढाई घंटे तक चलेगा। लेकिन समग्रता केवल 4 मिनट तक ही टिकेगी। ग्रहण की कुल अवधि 4 मिनट और 27 सेकंड तक होगी, जो 21 अगस्त, 2017 के अमेरिकी ग्रहण से लगभग दोगुनी है।
सूर्य ग्रहण की स्थिति कैसे बनती है?
पूर्ण सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी के बहुत करीब से गुजरता है और सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है। पृथ्वी से निकटता के कारण चंद्रमा का आकार बड़ा दिखाई देता है और यह सौर प्लेट को पूरी तरह ढक लेता है। इससे कुछ समय के लिए सूर्य की किरणें पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती हैं और अंधेरा छा जाता है। हालाँकि, इस दौरान कुछ दुर्लभ दृश्य देखने को मिलते हैं, जिनमें सूर्य के कोरोना का स्पष्ट दृश्य भी शामिल है। सूर्य के छिपने के कारण उसके निकट मौजूद सौर मंडल के अन्य ग्रह नंगी आंखों से दिखाई देने लगते हैं।
आज सूरज पर पहुंचेगा इसरो, आदित्य एल1 मिशन (Aditya L1 Mission; ISRO)
आदित्य एल1
हालाँकि, सूर्य का अध्ययन करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (isro) द्वारा भेजा गया अंतरिक्ष यान आदित्य एल1 इस घटना को कैद करने में सक्षम नहीं होगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि उपग्रह को अंतरिक्ष में ऐसे स्थान पर स्थापित किया गया है जहाँ वह बिना किसी रुकावट के 24/7 सूर्य का अवलोकन और अध्ययन कर सके।
सूर्य ग्रहण आदित्य एल1 को क्यों नहीं दिखेगा?
भारतीय वैज्ञानिकों ने उपग्रह को लैग्रेंज प्वाइंट 1 (L1 प्वाइंट) नामक स्थान पर स्थापित किया है, जहां से कोई भी चीज उपग्रह के सूर्य के दृश्य को अवरुद्ध नहीं कर सकती है। सरल शब्दों में कहें तो आदित्य L1 चंद्रमा से काफी आगे स्थित है और चंद्रमा की छाया वहां तक नहीं पहुंच पाती है। इसलिए, सबसे लंबा सूर्य ग्रहण उपग्रह के लिए अदृश्य ही होगा
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