शरत चंद्र बोस – Sarat Chandra Bose

hAFUBAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAALwGsYoAAaRlbhAAAAAASUVORK5CYII= शरत चंद्र बोस - Sarat Chandra Bose

शरत चंद्र बोस भारत के एक स्वतन्त्रता सेनानी तथा इंग्लैंड में बैरिस्टर थे। वे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के बड़े भाई थे। वे काँग्रेस कार्यकारी समिति के सदस्य तथा बंगाल विधान सभा में काँग्रेस संसदीय पार्टी के प्रमुख नेता थे। कलकत्ता उच्च न्यायालय में वकालत करते हुए उस समय के सबसे प्रसिद्ध वकीलों में उनका नाम दर्ज है। 

शरत चंद्र बोस जीवनी – Sarat Chandra Bose

नाम शरत चंद्र बोस 
जन्म 6 सितम्बर 1889
जन्म स्थान हावड़ा, बंगाल प्रेसिडेंसी, भारत 
पिता जानकी नाथ बोस 
माता प्रभावती देवी 
अल्मा मेटर कलकत्ता विश्वविद्यालय 
पेशा राजनीतिज्ञ, बैरिस्टर, स्वतंत्रता सेनानी 
संबंधी सुभाष चंद्र बोस (भाई)
मृत्यु 20 फरवरी 1950, कलकत्ता भारत 

पारिवारिक माहौल था आंदोलनकारी – The family atmosphere was agitating 

शरत चंद्र बोस जिस परिवार से आते थे उस परिवार का भारत के स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में महत्त्वपूर्ण योगदान था। परिवार मूल रूप से पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना के कोडालिया (अब सुभाषग्राम) से था। 14 बच्चों के परिवार में 2 बड़ी लड़कियों के बाद लड़कों में शरत चंद्र बोस सबसे बड़े थे। इनके बाद इनके छः छोटे भाई और पांच छोटी बहनें थी। परिवार में वामपंथी नेता शरत चंद्र बोस, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सुरेश चंद्र बोस, सुधीर चंद्र बोस, डॉ सुनील चंद्र बोस (प्रतिष्ठित ह्रदय रोग विशेषज्ञ), शैलेश चंद्र बोस, संतोष चंद्र बोस शामिल थे। 

राजनीतिक करियर – Political career   

1936 में, शरत चंद्र बोस बंगाल प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बने और 1936 से 1947 तक अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के सदस्य के रूप में कार्य किया। शरत बोस को फजलुल हक सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शामिल होने से एक दिन पहले सुभाष चंद्र बोस के भागने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था। उन्हें मर्करा और फिर कुन्नूर की जेल में रखा गया, जहाँ उनका स्वास्थ्य खराब हो गया। 4 साल की जेल की सजा के बाद उन्हें सितंबर 1945 में रिहा कर दिया गया। 1946 से 1947 तक, बोस ने केंद्रीय विधान सभा में कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। उन्होंने सुभाष चंद्र बोस द्वारा गठित ‘भारतीय राष्ट्रीय सेना’ के गठन का पुरजोर समर्थन किया और ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में सक्रिय रूप से भाग लिया। 1946 में, उन्हें निर्माण, खान और विद्युत् मंत्रालय के लिए अंतरिम सरकार का सदस्य नियुक्त किया गया। 

बंगाल विभाजन में महत्तवपूर्ण योगदान – Important contribution in the partition of Bengal

बंगाल के हिंदू मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में बंगाल को विभाजित करने के कैबिनेट मिशन योजना के आह्वान पर असहमति में बोस ने AICC से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने बंगाली मुस्लिम लीग के नेताओं हुसैन शहीद सुहरावर्दी और अबुल हाशिम के साथ मिलकर संयुक्त बंगाल और एकीकृत लेकिन स्वतंत्र बंगाल और उत्तर-पूर्व के लिए एक बोली लगाने का प्रयास किया। मुहम्मद अली जिन्ना ( मुस्लिम लीग के अध्यक्ष, जो पाकिस्तान के संस्थापक थे) ने इसका समर्थन किया। महात्मा गांधी ने भी इसका समर्थन किया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और बंगाल से भारतीय विधान परिषद के हिंदू सदस्यों ने इसका विरोध किया। भारत की स्वतंत्रता के बाद, बोस ने अपने भाई सुभाष चंद्र बोस के द्वारा स्थापित ‘फॉरवर्ड ब्लॉक’ का नेतृत्व किया और बंगाल और भारत के लिए समाजवादी व्यवस्था की वकालत करते हुए ‘सोशलिस्ट रिपब्लिकन पार्टी’ का गठन किया। 

मृत्यु – Death 

20 फरवरी 1950 को कलकत्ता में ही इनकी मृत्यु हो गयी थी।   

व्यक्तित्व से सम्बंधित यह लेख अगर आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर करना न भूलें और अपने किसी भी तरह के विचारों को साझा करने के लिए कमेंट सेक्शन में कमेंट करें।

AAFocd1NAAAAAElFTkSuQmCC मदन लाल ढींगरा - Madan Lal Dhingra

मदन लाल ढींगरा – Madan Lal Dhingra

AAFocd1NAAAAAElFTkSuQmCC जन्मदिन विशेष: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी - Primeminister Narendra Modi

जन्मदिन विशेष: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी – Primeminister Narendra Modi

AAFocd1NAAAAAElFTkSuQmCC अक्किनेनी नागेश्वर राव - Akkineni Nageswara Rao

अक्किनेनी नागेश्वर राव – Akkineni Nageswara Rao

Total
0
Shares
Leave a Reply
Previous Post
खोने के बाद पाने का सुख - Happiness of finding after losing 

खोने के बाद पाने का सुख – Happiness of finding after losing 

Next Post
किस करवट बैठेगी कनाडा की राजनीति - Which side will Canadian politics take? 

किस करवट बैठेगी कनाडा की राजनीति – Which side will Canadian politics take? 

Related Posts
Total
0
Share