कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सरकार मुश्किल में फंस गई है। भारत विरोधी रुख वाले जगमीत सिंह की अगुआई वाली न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) ने ट्रूडो की अल्पमत वाली सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया है। आइये जानते हैं कि इससे कनाडा की राजनीति पर क्या असर होगा और भारत के लिए इसके क्या मायने हैं?
अब ट्रूडो के सामने क्या है विकल्प – What are the options before Trudeau now?
जगमीत सिंह के समर्थन वापस लेने के बाद ट्रूडो की सरकार संकट में हैं। ट्रूडो के पास अब एक विकल्प ये है कि वह पद छोड़ दें और जल्दी चुनाव कराएं। ट्रूडो चुनाव से बचते हैं तो उनको नए सहयोगियों की जरूरत होगी। ट्रूडो को बजट पारित कराने और हाउस आफ कामन्स में विश्वास मत से बचने के लिए नया गठबंधन बनाना होगा। कनाडा में चुनाव अक्टूबर 2025 में होने हैं लेकिन अगर ट्रूडो संसद में विश्वास मत हासिल नहीं कर पाते हैं तो कनाडा में तय समय से पहले चुनाव हो सकते हैं।
क्या कंजर्वेटिव पार्टी को होगा फायदा – Will the Conservative Party benefit?
चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी को फायदा हो सकता है। कंजर्वेटिव पार्टी लंबे समय से कह रही थी कि सरकार में बदलाव की जरूरत है। लिबरल पार्टी आम लोगों का विश्वास खो रही है और माना जा रहा है कि अगले चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी सत्ता में आ सकती है।
बेरोजगारी-आवास के मुद्दे पर बढ़ रही है नाराजगी – Resentment is increasing on the issue of unemployment and housing
जस्टिन ट्रूडो 2015 से सता में बने हुए हैं। 2019 और 2021 में ट्रूडो की पार्टी अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं कर सकी लेकिन दूसरे दलों के समर्थन से वह सरकार बनाने में कामयाब रहे। हालांकि इस समय कनाडा में बेरोजगोरी और आवास से जुड़े मुद्दों को लेकर सरकार के प्रति निराशा है। हाल के समय में आए सर्वे इशारा करते हैं कि लोगों में ट्रूडो की लिबरल पार्टी की लोकप्रियता गिर रही है।
एनडीपी ने टूडो सरकार से समर्थन क्यों वापस लिया – Why did the NDP withdraw support from the Tudo government?
2021 में टूडो की नेतृत्व में लिबरल पार्टी संसद में बहुमत के लिए जरूरी सीटें नहीं जीत पाई थी। ट्रूडो और जगमीत सिंह ने आपूर्ति एवं विश्वास नाम से एक समझौता किया। यह समझौता संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने की सूरत में सरकार को बचाने के लिए था। यह तय किया गया था कि इसके बदले में लिबरल पार्टी संसद में एनडीपी की प्रमुख प्राथमिकताओं जैसे कम आय वाले परिवारों के लिए लाभ, नेशनल फार्माकेयर प्रोग्राम और लाकआउट या हड़ताल के दौरान दूसरे वर्कर्स के इस्तेमाल को रोकने वाले कानून का समर्थन करेगी। हालांकि पिछले माह कनाडा के दो सबसे बड़े रेलवे ने काम बंद कर दिया। इसके बाद ट्रूडो की कैबिनेट ने इंडस्ट्रियल बोर्ड को बाध्यकारी मध्यस्थता लागू करने का निर्देश दिया। ऐसे में एनडीपी ने अपनी प्राथमिकताओं पर नए सिरे से विचार करना शुरू किया। वर्कर्स और और उनके आंदोलन को समर्थन देना एनडीपी के प्रमुख नीति रही है।
भारत विरोधी रहा है जगमीत सिंह का रुख – Jagmeet Singh’s stance has been anti-India
एनडीपी नेता जगमीत सिंह पंजाब के बरनाला जिले से 1993 में कनाडा गया था। जगमीत सिंह का रुख ज्यादातर मौकों पर भारत के खिलाफ रहा है। एनडीपी ने बीते आम चुनाव में 24 सीटें जीती और वह किंगमेकर की भूमिका में आ गए। माना जाता है कि खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में जस्टिन ट्रूडो ने भारत के खिलाफ आक्रामक रुख इसलिए अपनाया था क्योंकि उनकी सरकार जगमीत सिंह की अगुआई वाली एनडीपी के समर्थन पर टिकी थी। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि जगमीत सिह के जाने के बाद जस्टिन ट्रूडो के रवैये में बदलाव आता है या नहीं।
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