दिल्ली में कोरोनावायरस मंकीपॉक्स के अलावा डेंगू और मलेरिया के भी के शो में वृद्धि नजर आ रही है. नगर
निकाय के एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल दिल्ली में डेंगू के करीब 180 मामले दर्ज किए गए हैं. दिल्ली नगर
निगम के मुताबिक इस साल जनवरी में डेंगू के 23 मामले नजर आए हैं. तो वहीं फरवरी में 16, मार्च में 22,
अप्रैल में 20, मई में 30 और जून में 32 मामले दर्ज किए गए हैं. नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल
के मुताबिक 31 मई 2022 तक डेंगू के 10172 मामले साथ ही तीन लोगों की मौत भी हुई है. कर्नाटक में डेंगू के
1714 मामले दर्ज किए गए हैं तो वही तमिलनाडु में 2548 मामले दर्ज किए हैं जो कि सभी राज्यों में से सबसे
ज्यादा है. डेंगू के बुखार में जोड़ों में दर्द और पूरे शरीर में दर्द होता है. एक मच्छर जनित वायरल फीवर है
जिसे दुनिया भर में ट्रॉपिकल और सब ट्रॉपिकल क्षेत्रों में पाया जाता है.
डेंगू रोग की पहचान
डेंगू के लक्षणों से ही डेंगू को पहचाना जाता हैं और रोगी के निकट इतिहास में उसके ट्रेवलिंग की जांच भी की
जाती हैं,जिससे डॉक्टर को ये पता लग सके कि उसने किसी डेंगू प्रभावित क्षेत्र में विजिट किया हैं या नहीं.
हालंकि इन सबके बाद भी डॉक्टर ब्लड और अन्य क्लिनिकल टेस्ट करवाने का निर्देश देता हैं. इसका कारण ये हैं
कि अन्य कई बीमारियाँ जैसे लेप्टोस्पाइरोसिस,टाईफोइड,येलो फीवर,स्कारलेट फीवर,रॉकी माउंटेन स्पॉटेड
फीवर,मेनिन्जोकोक्सेमिया,मलेरिया,चिकनगुनिया,फूड-पोइजनिंग और अन्य कई बीमारियों के लक्षण इससे मिलते-
जुलते होते हैं.
ऐसे में यदि रोगी को भयानक 104 फोरेन्हाईट का बुखार हैं और शुरुआती जांच से डॉक्टर को समझ नहीं आ रहा
हैं तो डेंगू को अन्य बीमारियों से अलग कर पहचानने के लिए और जांचें करवाई जाती हैं.
डेंगू बुखार के कारण
डेंगू का सबसे बड़ा कारण मच्छर है.
घर के आस पास पानी का जमा होना.
संक्रमित पानी व भोजन का सेवन करना.
डेंगू को सिर्फ लक्षण देखकर नहीं समझा जा सकता है, इसके लिए डॉक्टर की सलाह पर टेस्ट करवाने चाहिए. खून
की जांच के बाद ही डेंगू फीवर कन्फर्म होता है. 3-4 दिन में मरीज का शरीर डेंगू के वायरस के खिलाफ लड़ नहीं
पाता है और यह बढ़ने लगता है.