महंगाई थामने की कोशिश में आरबीआई इस वर्ष में तीन बार खर्च को महंगा कर चुका है. लेकिन इसका असर
बैंकों की तरफ से बांटे जाने वाले घर की रफ्तार पर अभी तक होता हुआ नहीं नजर आ रहा है. आरबीआई द्वारा
जारी किए गए आंकड़ों में बताया गया है कि वाणिज्य सेक्टर में कर्ज वितरण में लगातार वृद्धि हो रही है.
अप्रैल से जुलाई के दौरान इस सेक्टर को कर्ज वितरण में 4% की वृद्धि भी हुई थी जो कि अप्रैल से अगस्त के
दौरान बढ़कर 4.5 प्रतिशत रह गई. वही बात करें जुलाई में उद्योग जगत की जो कर्ज वितरण की रफ्तार 10.5
प्रतिशत रही जो 1 वर्ष पहले यानी जुलाई 2021 में सिर्फ 0.4 प्रतिशत तक की थी. वहीं जून 2022 में यह वृद्धि
दर 9.5 प्रतिशत और मई में यही घटकर 8.7 प्रतिशत तक रह गई थी. ऐसे में विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस
महीने की मौद्रिक नीति समीक्षा में एक बार फिर रेपो रेट में वृद्धि हो सकती है.
इसी के साथ आरबीआई मई से अगस्त तक के बीच रेपो रेट को 4% से बढ़ाकर 5.40 प्रतिशत तक कर चुकी है.
इसी वजह से होम लोन ऑटो लोन और दूसरे बैंकों के कर्ज की दर में औसतन बढ़ोतरी की जा चुकी है. इसका
असर सीधे सीधे उन क्षेत्रों को दिए जाने वाले बैंकिंग कर्ज पर नहीं दिखाई दे रहा है. जुलाई के महीने में होम लोन
में 9%, टिकाऊ उपभोक्ता सामान की खरीद के लिए कर्ज में 16.5 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है.
आरबीआई के गवर्नर डॉ शांति कांत दास ने हाल ही में बताया था कि महंगाई की दर का सबसे खराब दौर समाप्त
हो चुका है. लेकिन पूरे साल के लिए केंद्र बैंक में 1.7 प्रतिशत महंगाई रहने का लक्ष्य भी रखा है. जबकि लंबी
अवधि में इस दर को घटाकर 4% तक का लक्ष्य लाने का अनुमान लगाया गया था.