बरामदे से बेचे अपने प्रोडक्ट्स, इस महिला का नाम ही बन गया ब्रांड

बरामदे से बेचे अपने प्रोडक्ट्स, इस महिला का नाम ही बन गया ब्रांड
image source : navbharattimes.indiatimes.com

ब्यूटी इंडस्ट्री में शहनाज़ हुसैन एक ऐसा नाम है जो किसी परिचय का मोहताज नहीं। आज इनके नाम के ब्यूटी प्रोडक्टस ने देश विदेश के बड़े बाज़ारों में अपनी जगह बना ली है। उन्होंने साल 1971 में अपने हर्बल क्लिनिक की शुरुआत की थी। उनके जीवन में ऐसा भी समय रहा है जब उन्होंने अपने घर के आँगन से अपने ब्यूटी प्रोडक्टस बेचे।15 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई थी। 2006 में इन्हे पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
वर्तमान युग में हमारे समाज के अधिकांश लोगों के ज़हन में यह धारणा आज भी कायम है कि महिलाओं का स्थान केवल घर संभालने, चूल्हा चौका करने और बच्चों को सँभालने तक ही सीमित है। जबकि समाज में मौजूद ऐसी संकुचित सोच रखने वाले लोगों को मुँह तोड़ जवाब वह कदम-कदम पर देती आईं हैं। ऐसी तमाम महिलाओं में शहनाज़ हुसैन का नाम भी शामिल है। इस नाम से शायद ही कोई परिचित ना हो।

शहनाज़ हुसैन ब्यूटी इंडस्ट्री का एक बड़ा नाम है। आज उनके हर्बल ब्यूटी प्रोडक्टस का नाम दुनिया जानती है। यह प्रोडक्टा बाज़ारों में हाथों हाथ बिकते हैं। ऐसी बुलंदियाँ हासिल करने के कारण आज इनका नाम ही ब्रांड बन गया। लेकिन सफलता के इस शिखर पर पहुंचना इतना आसान भी नहीं था। शहनाज़ की शादी महज़ 15 साल की उम्र में कर दी गई थी। 14 साल की उम्र में उनकी एन्गेजमेन्ट भी हो गई थी। शादी होने के बाद घर की तमाम ज़िम्मेदारियों का दौर शुरू हुआ। लेकिन मन ही मन उन्होंने ठान लिया था कि वह केवल घर की तमाम ज़िम्मेदारियों तक खुद को सीमित नहीं रखेंगी। इसके बाद उन्होंने आयुर्वेदिक और हर्बल प्रोडक्टस बना कर पूरी दुनिया में नाम कमाया। उन्होंने अपने इस काम की शुरुआत अपने घर के बरामदे से अपने ब्यूटी प्रोडक्टस बेच कर की थी। पूर्व प्रधानमंत्री इंद्रा गांधी से भी उनकी गहरी दोस्ती थी। साल 2006 में उन्हें पद्म पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था।
ब्यूटी टेक्नीशियन बनने के उनके इस सफर में उनके पिता का योगदान बेहद एहम रहा। उनके पिता जस्टिस नासिर उल्ला बेग इलाहाबाद हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस थे। पिता की मदद से हेलेना रुबिनस्टीन स्कूल में उन्होंने दाखिला लिया। यहाँ से ब्यूटी टेक्नीशियन की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने जर्मनी से इससे जुड़े हुए कुछ कोर्स किए। भारत लौटने पर उन्होंने अपनी कॉस्मेटिक फर्म शुरू की।
बरामदे से बेचने शरू किए अपने प्रोडक्टस
शहनाज़ ने अपने प्रोडक्टस बरामदे से बेचने शुरू किए थे। उस समय उन्हें बिलकुल भी यह अंदाज़ा नहीं था कि एक दिन उनके हर्बल प्रोडक्टस दुनिया भर में नाम कमाएंगे। इसके बाद सफलता ने उनके कदम चूमें और देखते ही देखते वह ब्यूटी इंडस्ट्री का जाना माना नाम बन गईं। शहनाज़ हुसैन के प्रोडक्टस नेचुरल इंग्रीडिएंट्स के लिए जाने जाते है। इन प्रोडक्टस में कोई भी केमिकल मौजूद नहीं है और ना ही इनमें किसी भी प्रकार का कोई आर्टिफिशियल कलर है। यही उनके प्रोडक्टस की यूएसपी है।
1971 में खोली पहली हर्बल क्लिनिक
शहनाज़ ने अपनी शुरुआती पढ़ाई सेंट मैरीज कान्वेंट इंटर कॉलेज में की। इसके बाद उन्होंने कॉस्मेटोलॉजी और कॉस्मेटिक थेरेपी की भी ट्रेनिंग ली।1971 में जब वह भारत लौटी तो उन्होंने अपना पहला हर्बल क्लिनिक खोला। इसके बाद उन्होंने ‘द शहनाज़ ग्रुप’ की स्थापना की। उन्होंने उद्योग के क्षेत्र में कई सम्मान हासिल किए। 1999 में दिल का दौरा पड़ने के कारण उनके पति का निधन हो गया। 2008 में उनके बेटे की भी मृत्यु हो गई। उनकी विरासत को अब उनकी बेटी नीलोफर आगे लेकर जा रही हैं। बेटी ने ‘फ्लेम’ नाम से अपनी माँ की ऑटोबायोग्राफी भी लिखी।

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