किसी भी कक्षा के सिलेबस में बदलाव होना एक बेहद आम बात है। यह बदलाव 10 वी और 12 वी कक्षा के सिलेबस में भी किया जाता है। इस बार यह बदलाव यूपी की सरकार ने किया है। दरअसल यूपी सरकार ने 12 वी कक्षा के सिलेबस से मुग़ल इतिहास के चैप्टर्स को हटाने का फैसला किया है। इसके साथ ही 11 वी कक्षा के सिलेबस से भी कुछ चैप्टर्स को हटाया गया है। इसे लेकर एनसीआरटी के चीफ ने सफाई दी है। उन्होंने कहा है कि बच्चों पर बोझ को कम करने के लिए दोहराव वाली चीज़ों को हटा दिया गया है।
एनसीआरटी चीफ दिनेश प्रसाद सकलानी ने कहा है कि यह गलत है, झूठ है। सिलेबस से मुगलों को हटाया नहीं गया है। कोविड महामारी के बाद से ही बच्चों पर अतिरिक्त बोझ को कम करने की प्रिक्रिया शुरू हुई, ताकि बच्चों पर पढ़ाई के अतिरिक्त बोझ को हटाया जा सके। एक्सपर्ट्स ने सिलेबस कम किया है और कुछ नहीं। छठी कक्षा से बारहवी तक एक्सपर्ट्स ने देखा और गैर ज़रूरी लोड बस हटा दिया।
इस मुद्दे को लेकर दिनेश सकलानी ने कहा है कि 12 वी की पढ़ाई में अभी भी मुगलों की पढ़ाई जारी रहेगी। बस थोड़ा वर्क लोड कम किया गया है। जो एक्स्ट्रा चीज़ें थी उन्हें साइड कर दिया गया है। महत्वपूर्ण चीज़ें जैसे मुगलों की पॉलिसी को सिलेबस में रखा गया है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि इतिहास में कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। मुगलों पर दो की जगह एक चैप्टर पड़ा रहे हैं लेकिन पड़ा तो रहे हैं।
इन किताबों से हटाए जाएंगे ये चैप्टर्स
NCERT की कक्षा 12 वी की किताब से ‘थीम्स ऑफ़ इंडियन हिस्टरी – 2’ के चैप्टर ‘किंग्स एंड क्रॉनिकल्स: द मुगल कोर्ट‘ को पाठ्यक्रम से हटाया जा रहा है। इसके साथ ही कक्षा 11वीं की किताब थीम्स इन वर्ल्ड हिस्ट्री से ‘सेंट्रल इस्लामिक लैंड्स’, ‘कंफ्रंटेशन ऑफ कल्चर्स’, और ‘द इस्लामिक रेवोल्यूशन’ चैप्टर्स भी हटने जा रहे हैं।
इस पर इतिहासकारों का ये है कहना
प्रख्यात इतिहासकार प्रोफेसर इरफ़ान हबीब ने NCERT के किताबों से मुगलों के चैप्टर हटाने पर कहा है कि ऐसा करने से 200 साल के इतिहास की जानकारी शून्य हो जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि अगर मुगलों का इतिहास नहीं होगा तो ताजमहल भी नहीं होगा। उन्होंने आगे कहा है कि यूजीसी ने भी बीऐ के इतिहास विषय का एक सिलेबस बनाया था, जिसमें से उन्होंने अकबर को गायब कर दिया था। उन्होंने कहा है कि अगर भारत के इतिहास से मुगलों का इतिहास हटा दिया जाएगा तो 200 साल के बारे में हमे कुछ भी मालूम नही रहेगा। अगर मुगलों का इतिहास नहीं होगा तो फिर ताजमहल भी नहीं होगा।
वहीं इस पर इतिहासकार रवि भट्ट का कहना है कि इतिहास में बदलाव सत्यता के साथ किया जाना चाहिए। पहले के लोग जब इतिहास लिखा करते थे तो वह केवल अपने आकाओं को खुश रखने के लिए इतिहास लिखा करते थे। ऐसा करते हुए बहुत से तथ्य छूट जाया करते थे। समय -समय पर अपग्रेडेशन की ज़रूरत होती है। सही तथ्य को ही स्थान दिया जाना चाहिए। किसी को खुश करने के लिए अपग्रेडेशन नहीं किया जाना चाहिए।
लखनऊ विश्वविद्यालय के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट इतिहास व राजनीति शास्त्र के प्रो रवि कांत के मुताबिक, इतिहास बदलना ठीक नहीं है क्योंकि जो राजा थे उसमें राजा का कोई इतिहास नहीं था। मुग़ल इतिहास ने लोगों को बढ़ाया है अगर वो ही हट जाएगा तो यह भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा।
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