मलयालम कैलेंडर के अनुसार ओणम का त्यौहार दक्षिण भारत में चिंगम माह में तिरुवोणम नक्षत्र में धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल ओणम का त्योहार 29 अगस्त 2023, मंगलवार को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु के वामन अवतार रूप की पूजा करने से जीवन में धन और समृद्धि आती है। उसी समय ये सम्राट महाबली अपनी प्रजा से मिलने के लिए पुनः धरती पर आते हैं।
ओणम त्योहार की सबसे खास बात साध्य है जिसका अर्थ है ‘दावत’ या ‘भोज’। साध्य में पारंपरिक शाकाहारी मलयालम व्यंजन शामिल होते हैं। केले के पत्ते में 24 से 28 तरह के नमकीन, खट्टे-मीठे व्यंजन परोसे जाते हैं। आइये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
ओणम के मौके पर बनाई जाने वाली साध्य थाली में शामिल सभी व्यंजन पूरी तरह से शाकाहारी हैं। ये स्वाद में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहत के लिए भी फायदेमंद होते हैं। विविधता के साथ-साथ इन व्यंजनों के नाम भी बहुत अलग-अलग हैं। सांबर, उपेरी, चीनी वरही, नारंगा करी, मंगा करी और रसम कुछ ऐसे व्यंजन हैं जिन्हें साध्या में अवश्य परोसा जाता है।
साध्य में एक विशेष प्रकार की चटनी अवश्य परोसी जाती है, जिसके बिना यह ओणम साध्य अधूरी मानी जाती है। यह चटनी अदरक और गुड़ से बनाई जाती है, जिसे ‘इंजी करी’ कहा जाता है। इसके साथ ही चावल, ओलन, कलां, चेन यानी सूरन करी, पारिप्पु करी, पचड़ी, पुलुस्सारी, अलिसारी, मोर यानी खट्टा रायता भी इस थाली का हिस्सा हैं।
ओणम के मौके पर बनाई जाने वाली साध्य थाली में अवियल की सब्जी जरूर शामिल होती है। ये एक मिक्स सब्जी है, जो कई तरह की हरी और मौसमी सब्जियों से बनाई जाती है। इसके अलावा इस थाली में पत्तागोभी (तोरण) की सब्जी भी परोसी जाती है। इन सब्जियों को बनाने में नारियल का इस्तेमाल अलग-अलग तरह से किया जाता है।
साध्य थाली में मीठे व्यंजन भी परोसे जाते हैं। खासतौर पर गुड़ की खीर जरूरी है, जिसे पायसम कहते हैं। यह भी 3 प्रकार का होता है। मैदा से बनी खीर को पलाड़ा, गेहूं से बनी खीर को गोदाम्बा और अरहर दाल से बनी खीर को पजम कहा जाता है। इसके अलावा चावल और सेवई की खीर भी बनाई जाती है, लेकिन इसमें चीनी की जगह गुड़ का इस्तेमाल किया जाता है।
साध्य की सेवा करने का तरीका बेहद अलग और खास है। साध्य को केले के पत्ते में ही परोसा जाता है। ऐसी मान्यता है कि साध्य को जमीन पर बैठकर भोजन करना चाहिए। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, पालथी मारकर खाना खाने से पाचन क्रिया सही रहती है और शरीर पर भी इसका असर अनुकूल पड़ता है।