कुमारस्वामी कामराज : जयंती विशेष 15 जुलाई 

hAFUBAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAALwGsYoAAaRlbhAAAAAASUVORK5CYII= कुमारस्वामी कामराज : जयंती विशेष 15 जुलाई 

कुमारस्वामी कामराज, जिन्हें आम तौर पर ‘के कामराज’ के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने 13 अप्रैल, 1954 से 2 अक्टूबर, 1963 तक तत्कालीन मद्रास राज्य (वर्तमान तमिलनाडु) के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। इसके अलावा वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (संगठन) के संस्थापक और अध्यक्ष थे, जिन्हें 1960 के दशक के दौरान भारतीय राजनीति में “किंगमेकर” के रूप में ख्याति मिली।

आज 15 जुलाई, उनकी जयंती पर, को जानतें हैं कुछ खास बातें ‘किंगमेकर कामराज’ के बारे में।

जन्म व आरम्भिक जीवन

कामराज का जन्म 15 जुलाई, 1903 को हुआ था। वे तमिलनाडु के विरूधुनगर में जन्मे थे। उनका मूल नाम तो था ‘कामाक्षी कुमारस्वामी नादेर’ किन्तु बाद में वह ‘के कामराज’ के नाम से ही प्रसिद्ध हुए।

उनके पिता का नाम कुमारस्वामी नादर था और उनकी माता का नाम था शिवकामी अम्मल।

जब कामराज 6 वर्ष के थे, तभी उनके पिता की मृत्यु हो गयी थी जिस कारण उन्हें अपनी पढाई आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण छोड़नी पड़ी थी।

बारह वर्ष की उम्र से, उन्होंने अपने परिवार पर आये आर्थिक संकट के कारण एक दुकान में सहायक के रूप में काम करना शुरू कर दिया था।

आज़ादी की लड़ाई में… 

कामराज ने प्रतिदिन समाचार पत्र पढ़कर मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में रुचि विकसित की।

एक युवा लड़के के रूप में, कामराज जब दुकान में काम किया करते थे, तो उस दौरान उन्होंने भारतीय होम रूल आंदोलन के बारे में सार्वजनिक बैठकों और जुलूसों में भाग लेना शुरू कर दिया।

जब जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ तब वह पंद्रह वर्ष के थे। वह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था।

तत्पश्चात, वर्ष 1920 में, अठारह वर्ष की आयु में, वह विदेशी शासन से लड़ने और देश को आज़ाद कराने के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए।

कामराज मात्र 18 साल की उम्र में पार्टी में शामिल हो गए और स्वतंत्रता के लिए पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए। उस समय गांधीजी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन (1920-22) शुरू हो रहा था। कामराज ने इस आंदोलन में भाग लिया।

1930 में सविनय अवज्ञा (सत्याग्रह) के ‘नमक मार्च’ में उनकी भागीदारी के कारण उन्हें दो साल की जेल की सजा हुई किन्तु उन्हें 1931 में गांधी-इरविन संधि समझौते के हिस्से के रूप में रिहा कर दिया गया था।

ब्रिटिश शासन के खिलाफ कांग्रेस पार्टी के बड़े पैमाने पर भारत छोड़ो अभियान में उनकी प्रमुख भूमिका के लिए उन्हें अंग्रेजों द्वारा कई बार कैद किया गया, विशेष रूप से 1942-45 में।

राजनीती यात्रा

चुनावी राजनीती 

स्वतंत्रता पूर्व, 34 साल की उम्र में, कामराज ने 1937 और 1946 के चुनाव में ‘सत्तूर सीट’ जीतकर विधानसभा में प्रवेश किया। 

वर्ष 1952 में कामराज प्रथम आम चुनावों में श्रीविल्लीपुतुर चुनाव जीतकर पहले लोकसभा के सदस्य बने।

कामराज 1954 में मद्रास प्रांत (तमिल नाडु) के मुख्यमंत्री बने, इस पद पर वे 1963 तक तीन कार्यकाल तक रहे। वे इस पद पर 13 अप्रैल, 1954 से 2 अक्टूबर, 1963 तक रहे।

मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए उन्हें उन कार्यक्रमों के माध्यम से राज्य में शिक्षा को काफी आगे बढ़ाने का श्रेय दिया गया, जिन्होंने नए स्कूल बनाए, अनिवार्य शिक्षा शुरू की, और छात्रों के लिए भोजन और निःशुल्क गणवेश प्रदान किया। कहा जाता है कि उनके प्रशासन ने बड़ी संख्या में सिंचाई परियोजनाओं को लागू करके और छोटे किसानों को जमींदारों द्वारा शोषण से बचाने वाले कानून बनाकर राज्य की अर्थव्यवस्था में सुधार किया।

1963 में उन्होंने स्वेच्छा से कामराज योजना के तहत पद छोड़ दिया, जिसे कामराज योजना (Kamraj Plan) के नाम से जाना जाता है।

कामराज प्लान 

चीन के साथ 1962 के युद्ध में भारत की अपमानजनक हार के बाद, आम तौर पर कांग्रेस, विशेष रूप से जवाहरलाल नेहरू का कद जनता की नज़र में गिर गया। कामराज को लगा कि पार्टी को एक बूस्टर शॉट की आवश्यकता है। 

इस प्लान के तहत सर्वप्रथम तो कामराज ने गांधी जयंती के दिन 2 अक्टूबर, 1963 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि सभी वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को अपने पदों से इस्तीफा दे देना चाहिए और अपनी सारी ऊर्जा कांग्रेस को पुनर्जीवित करने में लगा देनी चाहिए।

एक और सिद्धांत, जिसे व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है, वह यह था कि यह कामराज (और नेहरू की) की पुराने नेताओं, मोरारजी देसाई, लाल बहादुर शास्त्री, जगजीवन राम, बीजू पटनायक, आदि नेताओं को बाहर करने की योजना थी।

कामराज की उपलब्धियों और कुशाग्रता से प्रभावित होकर प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू को लगा कि राष्ट्रीय स्तर पर उनकी सेवाओं की अधिक आवश्यकता है। एक त्वरित कदम में वह कामराज को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में दिल्ली ले आए।

9 अक्टूबर 1963 को कामराज को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया।

योजना सफल हुई। जब नेहरू का निधन हो गया, तो कामराज द्वारा लालबहादुर शास्त्री को प्रधानमंत्री पद के लिए चुना गया, मुख्यतः क्योंकि कामराज ने देसाई के खिलाफ उनका समर्थन किया था। और, जब शास्त्रीजी की अचानक मृत्यु हो गई, तो इंदिरा गाँधी प्रधान मंत्री बन गईं। इस कारण हार एक बार फिर देसाई की हुई और मोरारजी देसाई दो बार प्रधानमंत्री बनने से चूक गए।

इस भूमिका के लिए, वे 1960 के दशक के दौरान “किंगमेकर” के रूप में व्यापक रूप से ख्यापित हुए।

हालाँकि, शास्त्री के विपरीत, इंदिरा अधिक चतुर साबित हुईं और उन्होंने जल्द ही कामराज का कद छोटा कर दिया।

कांग्रेस पार्टी में विभाजन

इंदिरा गाँधी और कामराज के मतभेद बढ़ते चले गए। इस कारण से कांग्रेस पार्टी दो हिस्सों में टूट गयी। वर्ष 1969 में जब कांग्रेस का विभाजन हुआ, तो कामराज तमिलनाडु में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (संगठन) (INC(O)) के नेता बने। विपक्षी दलों द्वारा धोखाधड़ी के आरोपों के बीच 1971 के चुनावों में पार्टी ने खराब प्रदर्शन किया। 1975 में अपनी मृत्यु तक वे INC(O) के नेता बने रहे।

अंतिम समय और विरासत 

कामराज की मृत्यु गांधी जयंती के दिन 2 अक्टूबर, 1975 को उनके घर पर हुई। उस समय वह 72 वर्ष के थे और दिल का दौरा पड़ने से उनकी नींद में ही उनकी मृत्यु हो गई।

सन् 1976 में, उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

भारत रत्न – Bharat Ratna

वर्ष प्राप्तकर्ता के बारे में
2024 चौधरी चरण सिंह – Chaudhary Charan Singh उप प्रधान मंत्री, महान जन नेता, सामाजिक-राजनीतिक नेता।
पी० वी० नरसिंह राव – P. V. Narasimha Rao प्रधान मंत्री, महान जन नेता, सामाजिक-राजनीतिक नेता।
एम एस स्वामीनाथन – M.S. Swaminathan भारत में हरित क्रांति के जनक।
लालकृष्ण आडवाणी – Lal Krishna Advani उप प्रधान मंत्री, महान जन नेता, सामाजिक-राजनीतिक नेता।
कर्पूरी ठाकुर – Karpoori Thakur सामाजिक न्याय के प्रणेता, महान जननेता, सामाजिक-राजनीतिक।
2019 भूपेन हजारिका – Bhupen Hazarika असम के भारतीय पार्श्व गायक, गीतकार, संगीतकार, गायक, कवि और फिल्म निर्माता।
नानाजी देशमुख – Nanaji Deshmukh भारत के एक सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण आत्मनिर्भरता।
प्रणब मुखर्जी – Pranab Mukherjee भारतीय राजनीतिज्ञ और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता।
2015 अटल बिहारी बाजपेयी – Atal Bihari Bajpayee नौ बार लोकसभा के लिए, दो बार राज्यसभा के लिए चुने गए और तीन बार भारत के प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया।
मदन मोहन मालवीय – Madan Mohan Malaviya विद्वान एवं शिक्षा सुधारक.
2014 सचिन तेंडुलकर – Sachin Tendulkar क्रिकेटर
सीएनआर राव – C. N. R. Rao रसायनज्ञ और प्रोफेसर, लेखक
2009 भीमसेन जोशी – Bhimsen Joshi हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक
2001 बिस्मिल्लाह खान – Bismillah Khan हिंदुस्तानी शास्त्रीय शहनाई वादक
लता मंगेशकर – Lata Mangeshkar गायक
1999 पण्डित रवि शंकर – Pandit Ravi Shankar संगीतकार, सितारवादक
गोपीनाथ बोरदोलोई – Gopinath Bordoloi कार्यकर्ता
अमर्त्य सेन – Amartya Sen अर्थशास्त्री
जयप्रकाश नारायण – Jayaprakash Narayan कार्यकर्ता, और समाज सुधारक
1998 चिदम्बरम सुब्रमण्यम – Chidambaram Subramaniam कार्यकर्ता और भारत के पूर्व कृषि मंत्री
एमएस सुब्बुलक्ष्मी – M. S. Subbulakshmi कर्नाटक शास्त्रीय गायक
1997 ए पी जे अब्दुल कलाम – A.P.J Abdul Kalam एयरोस्पेस और रक्षा वैज्ञानिक
अरुणा आसफ अली – Aruna Asaf Ali कार्यकर्ता
गुलजारीलाल नंदा – Gulzarilal Nanda कार्यकर्ता, और भारत के अंतरिम प्रधान मंत्री।
1992 सत्यजीत रे – Satyajit Ray निर्देशक, फिल्म निर्माता, लेखक, उपन्यासकार
जेआरडी टाटा – J. R. D. Tata उद्योगपति, परोपकारी और विमानन अग्रणी
अबुल कलाम आज़ाद – Abul Kalam Azad कार्यकर्ता और प्रथम शिक्षा मंत्री
1991 मोरारजी देसाई – Morarji Desai कार्यकर्ता, और भारत के प्रधान मंत्री
वल्लभभाई पटेल – Vallabhbhai Patel कार्यकर्ता और भारत के पहले उप प्रधान मंत्री
राजीव गांधी – Rajiv Gandhi गांधी 1984 से 1989 तक भारत के नौवें प्रधान मंत्री थे।
1990 नेल्सन मंडेला – Nelson Mandela दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेद विरोधी आंदोलन के नेता, दक्षिण अफ़्रीका के राष्ट्रपति
बीआर अंबेडकर -B.R. Ambedkar समाज सुधारक और दलितों के नेता
1988 एमजी रामचन्द्रन – M. G. Ramachandran अभिनेता से राजनेता बने, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री
1987 खान अब्दुल गफ्फार खान – Khan Abdul Ghaffar Khan प्रथम गैर-नागरिक, स्वतंत्रता सेनानी
1983 विनोबा भावे – Vinoba Bhave कार्यकर्ता, समाज सुधारक और महात्मा गांधी के करीबी सहयोगी
1980 मदर टेरेसा – Mother Teresa कैथोलिक नन और मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी की संस्थापक।
1976 के. कामराज – K. Kamaraj स्वतंत्रता कार्यकर्ता और राजनेता, तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री
1975 वीवी गिरि – V. V. Giri श्रम संघवादी
1971 इंदिरा गांधी – Indira Gandhi भारत की प्रथम महिला प्रधान मंत्री
1966 लाल बहादुर शास्त्री – Lal Bahadur Shastri कार्यकर्ता और भारत के दूसरे प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया
1963 पांडुरंग वामन काणे – Pandurang Vaman Kane इंडोलोजिस्ट और संस्कृत विद्वान, अपने पांच खंडों के साहित्यिक कार्यों के लिए जाने जाते हैं
जाकिर हुसैन – Zakir Husain कार्यकर्ता, अर्थशास्त्री और शिक्षा दार्शनिक ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति और बिहार के राज्यपाल के रूप में कार्य किया
1962 डॉ राजेंद्र प्रसाद – Dr. Rajendra Prasad कार्यकर्ता, वकील, राजनेता और विद्वान
1961 पुरूषोत्तम दास टंडन – Purushottam Das Tandon कार्यकर्ता और संयुक्त प्रांत विधान सभा के अध्यक्ष
बिधान चंद्र रॉय – Bidhan Chandra Roy चिकित्सक, राजनीतिक नेता, परोपकारी, शिक्षाविद् और सामाजिक कार्यकर्ता
1958 धोंडो केशव कर्वे – Dhondo Keshav Karve समाज सुधारक और शिक्षक
1957 गोविंद बल्लभ पंत – Govind Ballabh Pant कार्यकर्ता और उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री
1955 जवाहर लाल नेहरू – Jawaharlal Nehru कार्यकर्ता और लेखक ने भारत के प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया
एम. विश्वेश्वरैया – M. Visvesvaraya सिविल इंजीनियर, राजनेता और मैसूर के दीवान
भगवान दास – Bhagwan Das कार्यकर्ता, दार्शनिक और शिक्षाविद्
1954 सी वी रमन – C. V. Raman भौतिक विज्ञानी, गणितज्ञ और वैज्ञानिक
सर्वपल्ली राधाकृष्णन – Sarvapalli Radhakrishnan भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति
सी. राजगोपालाचारी – C. Rajagopalachari कार्यकर्ता, राजनेता और वकील

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