केरल में निपाह वायरस संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं, शुक्रवार तक इससे संक्रमित लोगों की संख्या छह हो गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोझिकोड जिले में 39 साल के एक शख्स में संक्रमण की पुष्टि हुई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने राज्य में संक्रमण के बढ़ते मामलों को लेकर लोगों को सचेत किया है और रोकथाम के प्रयास जारी रखने की सलाह दी है।
निपाह वायरस क्या है?
निपाह वायरस जानवरों के जरिए इंसानों में फैलता है। कई बार यह खाने-पीने की चीजों से और इंसानों से भी फैलता है। निपाह का पहला मामला 1999 में देखा गया था, लेकिन अब तक इसके इलाज के लिए न तो कोई दवा है और न ही कोई टीका। फिलहाल निपाह का एकमात्र इलाज सावधानी ही है। यह संक्रमित चमगादड़, सूअर या संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में आने से फैलता है, इसकी मृत्यु दर 75% तक हो सकती है, जो गंभीर चिंता का विषय है।
गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों में केरल में संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं। संक्रमित लोगों के संपर्क में आए लोगों को भी विशेष निगरानी में रखा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 706 लोग संक्रमितों की कॉन्टैक्ट लिस्ट में हैं, जिनमें से 77 लोग हाई रिस्क पर हैं। जोखिम में 153 लोग स्वास्थ्य कर्मी हैं। स्वास्थ्य मंत्री वीणा ने कहा कि हाई रिस्क कैटेगरी में फिलहाल किसी में भी लक्षण नहीं दिख रहे हैं, हालांकि उन पर गंभीरता से नजर रखी जा रही है।
इस गंभीर बीमारी से कैसे बचें?
- स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है, सभी लोगों को इस गंभीर संक्रमण के खतरों के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है। कुछ उपाय अपनाकर संक्रमण को रोका जा सकता है।
- चमगादड़ों से इंसानों में संक्रमण का खतरा अधिक होता है, इसलिए उन जगहों पर जाने से बचें जहां चमगादड़ों की संख्या बहुत अधिक हो।
- बीमार जानवरों या संक्रमित लोगों के साथ निकट संपर्क से बचने का प्रयास करते रहें। ऐसे लोगों के निकट संपर्क से पहले दस्ताने और अन्य सुरक्षात्मक कपड़े पहनने चाहिए।
- निपाह वायरस से संक्रमित रोगियों के साथ निकट शारीरिक संपर्क से बचना चाहिए।
- अच्छे स्वच्छता उपायों का पालन करके इस बीमारी से संक्रमण के खतरों को कम किया जा सकता है।
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