मधुमेह रोगियों में गुर्दे खराब होने का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। हालांकि, आसानी से उपलब्ध औषधीय पौधों
पर यदि गहन अनुसंधान किए जाएं तो उनसे मधुमेह रोगियों के गुर्दों को बचाने की दवा ईजाद की जा सकती है।
करंट साइंस जर्नल में प्रकाशित एक शोध में यह दावा किया गया है।
शोध के अनुसार, अकेले भारत में करीब 400 ऐसे औषधीय पौधे हैं जिनमें हाइपोग्लेसेमिक गुण हैं। यानी उनके
सेवन से रक्त में शर्करा का स्तर कम होता है। इसका मतलब यह हुआ कि उनमें मधुमेह रोधी गुण हैं। लिहाजा
ऐसे पौधों से मधुमेह के इलाज की दवाएं बनाई जा सकती हैं। लेकिन इनमें से कुछ पौधे ऐसे हैं, जो विशेष तौर पर
क्षतिग्रस्त हो रहे गुर्दे की सेहत सुधारने में कारगर पाए गए हैं।
चूहों पर किए जा चुके हैं परीक्षण
जर्नल में ऐसे एक दर्जन औषधीय पौधों का ब्योरा दिया गया है, जिनके चूहों पर परीक्षण किए जा चुके हैं। परीक्षणों
में इस बात की पुष्टि हो चुकी है। खास बात यह है कि इनमें से ज्यादातर वही पौधे हैं, जिनका लोग रोजमर्रा के
जीवन में किसी न किसी रूप में इस्तेमाल करते हैं। करोड़ रोगी देश में 2019 में थे, 2045 13.4 करोड़ होने का
अनुमान।
गुर्दे में ऑक्सीडेटिव स्ट्रैस को रोकते हैं ये पौधे
चूहों में परीक्षण के दौरान देखा गया है कि उपरोक्त पौधे एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर हैं, जो गुर्दे में ऑक्सीडेटिव
स्ट्रैस को रोकते हैं। शरीर में जब एंटी ऑक्सीडेंट और फ्री रेडिकल तत्वों का तालमेल बिगड़ जाता है तो इससे गुर्दे
की कोशिकाओं की हानिकारक तत्वों से लड़ने की क्षमता घट जाती है, जिससे वह कमजोर होने लगते हैं। लेकिन ये
औषधीय पौधे ऑक्सीडेटिव स्ट्रैस को कम करते हैं।
प्रमुख औषधीय पौधे
नीम, कुरकुमा लौंग, लहसुन, अदरक, अंगूर, मेथी, करेला, अनार, शतावरी मुंगना, उलटकंबल तथा श्योनाक शामिल
हैं। औषधीय पौधों में तमाम बीमारियों का इलाज छिपा है। आज जरूरत इस बात की है कि इन पौधों पर गहन
शोध करके आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के मापदंडों पर दवा निर्माण किया जाए। एलोपैथी में ऐसी सैकड़ों प्रभावी
दवाएं हैं, जो औषधीय पौधों से ही तैयार की गई हैं।