भारत में 20 करोड़ से अधिक लोग गतिहीन जीवन शैली से ग्रस्त हैं। ग्रामीण क्षेत्र की तुलना में शहरी क्षेत्र में लोग काफी ज्यादा सुस्त जिंदगी जी रहे हैं। डाल्वर्ग एडवाइजर्स व स्पोर्ट्स एंड सोसाइटी एक्सेलेरेटर द्वारा किए गए एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण में भारतीयों में इस खतनाक प्रवृत्ति का पता चला है। शारीरिक सक्रियता स्वास्थ्य के अलावा देश के विकास के लिए भी कितनी जरूरी है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अगर 2047 तक भारत गतिहीन जीवन शैली छोड़ दे तो लोगों की उत्पादकता बढ़ने के साथ वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद में 50 अरब डालर का लाभ होगा।
अध्ययनकर्ताओं के अनुसार देश में ऐसे कई मिथक है जो ऐसी स्थिति के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है। इसमें शारीरिक गतिविधि से शिक्षा प्रभावित होगी, जो पतले हैं उन्हें शारीरिक गतिविधि की जरूरत नहीं, गर्भावस्था और माहवारी में शारीरिक गतिविधि उचित नहीं जैसे मिथक शामिल है।
सर्वेक्षण के अनुसार शहरों में लड़कियां सबसे अधिक निष्क्रिय हैं। पार्क और मैदान जैसे सार्वजनिक स्थान दूर होने के साथ-साथ सुरक्षा को लेकर भय के कारण शहरों में लड़कियां शारीरिक गतिविधियों से सबसे ज्यादा दूर हो गई हैं। इसके अलावा औसत भारतीय महिला का तीन-चौथाई समय घर के कामों और बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल में व्यत्तीत होता है जिससे वह अपने लिए समय नहीं निकाल पातीं हैं।
रिपोर्ट में शहरी निष्क्रियता दर ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में लगभग दोगुनी देखी गई। शारीरिक गतिविधि को प्रोत्साहित करने के लिए स्वच्छ और सुरक्षित सार्वजनिक स्थानों तक पहुंच महत्वपूर्ण है। 70 प्रतिशत लोग अपने घरों से 15 मिनट तक की दूरी पर सार्वजनिक स्थान पसंद करते हैं। कई पार्कों में गंदगी और बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। खराब रोशनी और अनियंत्रित भीड़ सहित सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी लोगों को इन स्थानों का उपयोग करने से रोकती है।
रिपोर्ट के अनुसार 2047 तक गतिहीन जीवन शैली छोड़कर वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद में 50 अरब डलर का लाभ होगा। मोटे तौर पर सालाना 17 अरब डालर स्वास्थ्य नतीजों से आएंगे क्योंकि गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) पर कम खर्च होगा, जो देश भर में मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण है। लोगों की उत्पादकता बढ़ने से अतिरिक्त 28 अरब डालर का लाभ हो सकता है।
स्वास्थ्य जोखिम, चिंता और अवसाद को कम करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन वयस्कों को प्रति सप्ताह कम से कम 150 मिनट की शारीरिक गतिविधि की सलाह देता है। जबकि बच्चों और किशोरों को प्रतिदिन 60 मिनट का लक्ष्य रखना चाहिए।