श्रीलंका ने मार्क्सवादी विचारधारा वाले अनुरा कुमारा दिसानायके (Anura Kumara Dissanayake) को अपना नया राष्ट्रपति चुना है। देश के लोगों ने 55 वर्षीय दिसानायके के भ्रष्टाचार से लड़ने और दशकों के सबसे खराब वित्तीय संकट के बाद आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने के संकल्प पर भरोसा किया है। नए राष्ट्रपति सोमवार को शपथ ग्रहण करेंगे। वह देश के नौवें राष्ट्रपति होंगे।
पहली बार दूसरे दौर की मतगणना में पहुंचा चुनावी परिणाम – Election results reached for the first time in the second round of vote counting
श्रीलंका के इतिहास में पहली बार दूसरे दौर की मतगणना से राष्ट्रपति चुनाव के विजेता का फैसला हुआ ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि शीर्ष दो उम्मीदवार पहले दौर में अनिवार्य 50 प्रतिशत वोट हासिल करने में विफल रहे। इससे पहले शनिवार को हुए मतदान के बाद रविवार को हुई मतगणना के पहले दौर में जब कोई प्रत्याशी 50 प्रतिशत से अधिक मत प्राप्त नहीं कर सका तो चुनाव आयोग ने दूसरे दौर की मतगणना का आदेश दिया। पहले दौर की मतगणना में दिसानायके को 42.31 प्रतिशत मत मिले जो 2019 में पिछले राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें मिले तीन प्रतिशत मतों से बहुत अधिक हैं। साजिथ प्रेमदासा 32.8 प्रतिशत मत पाकर दूसरे स्थान पर रहे। विक्रमसिंघे को 17.27 प्रतिशत मत मिले।
मार्क्सवादी विचारधारा से प्रभावित है पार्टी – The party is influenced by Marxist ideology
दिसानायके श्रीलंका की किसी मार्क्सवादी पार्टी के ऐसे पहले नेता हैं जो देश के प्रमुख बने हैं। वह उत्तर-मध्य प्रांत के ग्रामीण थम्बुटेगामा के रहने वाले हैं। दिसानायके ने कोलंबो की उपनगरीय केलानिया यूनिवर्सिटी से विज्ञान में स्नातक किया हैं। उनकी पार्टी जेवीपी राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में हुए श्रीलंका समझौते के विरुद्ध थी, लेकिन इस वर्ष फरवरी में दिसानायके की भारत यात्रा NPP के रुख में नई दिल्ली के प्रति बदलाव के रूप में देखी गई।
वर्ष 2000 में पहली बार बने सांसद – Became MP for the first time in the year 2000
दिसानायके की राजनीति में कई बार उतार-चढ़ाव का दौर देखा गया। 1995 में उन्हें सोशलिस्ट स्टूडेंट्स एसोसिएशन का राष्ट्रीय आयोजक बनाया गया, जिसके बाद उन्हें जेवीपी की केंद्रीय कार्य समिति में जगह भी मिल गई। 2000 में दिसानायके पहली बार सांसद बने उससे पहले तीन साल तक पार्टी के राजनीति ब्यूरो के सदस्य थे। 2004 में श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (SLFP) के साथ गठबंधन वाली सरकार में उन्हें कृषि और सिंचाई मंत्री बनाया गया था, हालांकि एक साल बाद ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने हमेशा मार्क्सवादी विचारधारा को आगे रखते हुए देश में बदलाव की बात कही है। चुनाव प्रचार में भी दिसानायके ने ज्यादातर छात्रों और मजदूरों के मुद्दे का जिक्र किया था। उन्होंने श्रीलंका के लोगों से शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बदलाव के वादे किए थे।
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