चीन की अर्थव्यवस्था में आई मंदी ने वहां के लाखों युवाओं के भविष्य को अधर में डाल दिया है। युवाओं को
नौकरियां नहीं मिल रही हैं और कई को नौकरी गंवानी भी पड़ी है।
इस महीने जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार चीनी शहरों में पांच में से एक युवा को नौकरी से हाथ धोना पड़ा
है। जो राष्ट्रीय औसत से तीन गुना अधिक है। चीन में पिछले चार सालों में पहली बार इतने ज्यादा लोग बेरोजगार
हुए हैं। जनवरी 2018 के बाद यहां सबसे अधिक लोग बेरोजगार हैं। रिपोर्ट के अनुसार इस गर्मी के दौरान चीन में
1.1 करोड़ स्नातक पास युवा रोजगार खोज रहे हैं। वहीं देश की अर्थव्यवस्था की हालत यह है कि अर्थव्यवस्था
दूसरी तिमाही में 0.4 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। यह पिछले दो सालों में सबसे कम है।
22 साल के एक बेरोजगार युवक झाओ युटिंग ने बताया कि जुलाई में स्नातक पास करने के बाद उसने दर्जनों
कंपनियों में नौकरी के लिए आवेदन दिया लेकिन इंटरव्यू के लिए नहीं बुलाया गया। बहुत ही कम लोगों को बुलाया
गया। झाओ ने कहा कि मैं नौकरी की तलाश में हूं, लेकिन काम मिलेगा इसकी संभावनाएं कम दिखती हैं। चीन में
अनुभवी लोग भी नौकरियों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
भारत में क्या है स्थिति?
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन ‘कॉनमी’ (सीएमआईई) की रिपोर्ट के अनुसार जुलाई में भारत में बेरोजगारी दर
में कमी आई है। जुलाई में बेरोजगारी दर कम होकर 6.80 प्रतिशत पर आ गई, जून में यह 7.80 प्रतिशत थी।
हालांकि ग्रामीण क्षेत्र के मुकाबले शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी बढ़ी है। ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर घटकर 6.14
प्रतिशत आ गई थी। जबकि शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर बढ़कर 8.21 प्रतिशत हो गई, जो एक महीने पहले 7.80
प्रतिशत थी।
विश्लेषकों ने अर्थव्यवस्था में मंदी के लिए कोरोना को भी जिम्मेदार ठहराया है। जुलाई और अगस्त में कोरोना से
बचाव के लिए लॉकडाउन लगाना पड़ा था। रिसर्च ग्रुप टीएस लोम्बार्ड के अर्थशास्त्रत्त्ी ज़ुआंग बो का अनुमान है कि
चीन में बेरोजगारी की वास्तविक स्थिति काफी खराब है। जो आंकड़े जारी हुए हैं, उनमें ग्रामीण इलाकों में रहनेवाले
बेरोजगार युवाओं का डाटा नहीं हैं। इसलिए बेरोजगारों की संख्या दोगुनी से भी अधिक होने का अंदेशा है। श्रमिक
भी काम खोजने के लिए संघर्ष कर रहे हैं