भारतीय वायुसेना के स्थापना दिवस पर केंद्र सरकार ने वायुसेना में अलग शस्त्र शाखा बनाने को मंजूरी
दी है। यह शाखा सभी तरह के हथियारों के परिचालन और उनके प्रशिक्षण के लिए जिम्मेदार होगी।
इसके क्रियाशील होने के बाद वायुसेना को सालाना करीब 3400 करोड़ रुपये की बचत होने का अनुमान
है।
उधर, चंडीगढ़ में वायुसेना प्रमुख एअर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने हथियार प्रणाली शाखा के गठन पर
कहा कि आजादी के बाद पहली बार एक नई अभियानगत शाखा बनाई जा रही है। वहीं, रक्षा मंत्रालय ने
बयान में कहा कि सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए हथियार प्रणाली शाखा नामक नई शाखा के
सृजन को मंजूरी दी है।
हथियार प्रणाली शाखा के सृजन में सभी ग्राउंड-आधारित और विशेषज्ञ हवाई हथियार प्रणालियों के
परिचालन संबंधी नियोजन के लिए समर्पित इकाई के तहत सभी हथियार प्रणाली ऑपरेटरों का एकीकरण
किया जाएगा।
चार उप शाखाएं होंगी सूत्रों के अनुसार, हथियार प्रणाली शाखा के तहत चार उप शाखाएं बनाई जाएंगी
जिनमें एक में सतह से सतह में मार करने वाली मिसाइलें, दूसरी में सतह से हवा में मार करने वाली
मिसाइलें एवं इससे संबंधित उपकरण, तीसरी उप शाखा में ड्रोन या रिमोट संचालित अन्य रक्षा उपकरण
तथा चौथी उप शाखा में हथियार प्रणाली के ऑपरेटरों को रखा जाएगा। चारों उप शाखाएं विशेषज्ञता से
परिपूर्ण होंगी।
जरूरत क्यों
● कमोबेश सभी देशों की सेनाएं बदलाव करते हुए अपनी क्षमताओं में बढ़ोतरी कर रही हैं।
● यह शाखा सतह से सतह और हवा में मार करने वाली मिसाइल, रिमोट पायलट प्रणाली को मजबूती
मिलेगी।
● वायुसेना पायलट की कमी से जूझ रही है, नई शाखा बनने से यह संकट दूर होगा
फायदा क्या
वायुसेना को हर साल करीब 3400 करोड़ रुपये की बचत होगी जो उसे प्रशिक्षण पर खर्च करनी पड़ती है।
विभिन्न कमानों के प्रशिक्षण का वक्त भी बचेगा। इससे वायुसेना के संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल हो
सकेगा और यह वायुसेना की युद्धक क्षमता में इजाफा करेगी।
केंद्र ने भारतीय वायुसेना के अधिकारियों के लिए हथियार प्रणाली शाखा की स्थापना को मंजूरी दी है।
सैन्य सुधारों की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम है।