बांग्ला, मराठी व असमिया को मिला शास्त्रीय भाषा का दर्जा – Bengali, Marathi and Assamese got the status of classical languages

hAFUBAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAALwGsYoAAaRlbhAAAAAASUVORK5CYII= बांग्ला, मराठी व असमिया को मिला शास्त्रीय भाषा का दर्जा - Bengali, Marathi and Assamese got the status of classical languages

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बांग्ला भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने को मंजूरी दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। महाराष्ट्र में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं और यह राज्य में एक बड़ा चुनावी मुद्दा था।

उधर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विस्वा सरमा समेत विभिन्न नेताओं ने मराठी बांग्ला और असमिया समेत विभिन्न भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के केंद्र सरकार के कदम की गुरुवार को सराहना की।

मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक निर्णय है और यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राजग सरकार के हमारी संस्कृति को आगे बढ़ाने, हमारी विरासत पर गर्व करने और सभी भारतीय भाषाओं तथा हमारी समृद्ध विरासत पर गर्व करने के दर्शन के अनुरूप है। 

सरकार ने कहा कि शास्त्रीय भाषा भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत की संरक्षक के रूप में काम करती है, तथा प्रत्येक समुदाय के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक सार को प्रस्तुत करती है। भारत सरकार ने 12 अक्टूबर 2004 को शास्त्रीय भाषा’ के रूप में भाषाओं की एक नई श्रेणी बनाने का निर्णय लिया, जिसके तहत तमिल को शास्त्रीय भाषा घोषित किया गया था उसके बाद संस्कृत, कन्नड़, मलयालम और उड़िया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया। 

विरासत की संरक्षक के रूप में काम करती है शास्त्रीय भाषाएं – Classical languages ​​act as guardians of heritage

सरकार ने कहा कि शास्त्रीय भाषाएं भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत की संरक्षक के रूप में काम करती है, तथा प्रत्येक समुदाय के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक सार को प्रस्तुत करती है। भारत सरकार ने 12 अक्तूबर 2004 को शास्त्रीय भाषा के रूप में भाषाओं की एक नई श्रेणी बनाने का निर्णय लिया, जिससे तमिल को शास्त्रीय भाषा घोषित किया गया तथा उसके बाद संस्कृत, तेलुगु, कन्नड, मलयालम और उड़िया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया। एक सरकारी बयान में कहा गया है कि 2013 में महाराष्ट्र सरकार की ओर से एक प्रस्ताव पास हुआ था जिसमें मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने का अनुरोध किया गया था। इस प्रस्ताव को भाषा विज्ञान विशेषज्ञ समिति (एलईसी) को भेज दिया गया था। एलईसी ने शास्त्रीय भाषा के लिए मराठी की सिफारिश की।

मंत्रिमंडल फैसले पर प्रधानमंत्री ने खुशी जताई – Prime Minister expressed happiness over the cabinet decision

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को मराठी, बांग्ला और असमिया सहित पांच भाषाओं को शास्त्रीय भाषा  का दर्जा दिए जाने पर खुशी जताई और कहा कि उनके नेतृत्व वाली सरकार शास्त्रीय भाषाओं को लोकप्रिय बनाने की अपनी प्रतिबद्धता पर अटूट रही है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पाली और प्राकृत भाषा को भी शास्त्रीय दर्जा प्रदान करने की मंजूरी दी। 

मोदी ने इस फैसले पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए एक्स पर सिलसिलेवार पोस्ट किए और कहा कि ये सभी भाषाएं सुंदर है और देश की जीवंत विविधता को रेखांकित करती है। उन्होंने इसके लिए सभी को बधाई देते हुए कहा कि हमारी सरकार भारत के समृद्ध इतिहास और संस्कृति को महत्व देती है और उसका जश्न मनाती है। हम क्षेत्रीय भाषाओं को लोकप्रिय बनाने की अपनी प्रतिबद्धता पर भी अटूट रहे हैं। मराठी को अभूतपूर्व और भारत का गौरव करार देते हुए उन्होंने महाराष्ट्र के लोगों को बधाई दी। 

उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने से कई और लोग इसे सीखने के लिए प्रेरित होंगे। उन्होंने कहा कि असमिया संस्कृति सदियों से फलती फूलती रही है और इसने देश को एक  समृद्ध साहित्यिक परंपरा दी है। उन्होंने कहा कि कामना है कि आने वाले समय में यह भाषा और भी लोकप्रिय होती रहे। मेरी बधाई।

बांग्ला को महान भाषा करार देते हुए उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि इस दुर्गा पूजा के शुभ समय के दौरान शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया है। उन्होंने कहा कि बांग्ला साहित्य ने अनगिनत लोगों को वर्षों से प्रेरित किया है। मैं विश्व भर के सभी बांग्ला भाषियों को इसके लिए बधाई देता हूँ। पाली और प्राकृत भारत की संस्कृति के मूल में बसी भाषाएं करार देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ये आध्यात्मिकता, ज्ञान और दर्शन की भाषाएं भी हैं। 

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