लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) अनिल चौहान को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त किया गया है। वे देश
के दूसरे सीडीएस हैं। पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत के निधन के करीब नौ महीने के बाद उनकी नियुक्ति की
गई है। 30 सितंबर को पदभार संभाल सकते हैं।
रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को बयान जारी कर कहा कि 61 वर्षीय लेफ्टिनेंट जनरल चौहान भारत सरकार, सैन्य
मामलों के विभाग के सचिव के रूप में भी कार्यभार ग्रहण करने की तारीख से अगले आदेश तक कार्य करेंगे।
पहली बार सेवानिवृत्त अफसर को बड़ी जिम्मेदारी रक्षा मंत्रालय ने जून में नियमों में बदलाव कर सेवानिवृत्त जनरल
या लेफ्टिनेंट जनरल को भी सीडीएस नियुक्त करने का प्रावधान किया था। पहले सेवारत जनरल या लेफ्टिनेंट
जनरल ही सीडीएस बन सकते थे। तभी से यह चर्चाएं थीं कि सेवानिवृत्त अधिकारी भी सीडीएस नियुक्त किया जा
सकता है।
दूसरे सीडीएस भी गोरखा राइफल्स से जनरल रावत की तरह लेफ्टिनेंट जनरल चौहान भी उत्तराखंड और गोरखा
राइफल्स से हैं। 18 मई 1961 में जन्मे जनरल चौहान राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खड़कवासला और भारतीय सैन्य
अकादमी, देहरादून के पूर्व छात्र हैं। 40 वर्षों के अपने करियर में उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। वह
एनएसए अजीत डोभाल की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय में सैन्य सलाहकार भी थे।
पहले लेफ्टिनेंट जनरल जो सेना प्रमुखों के ऊपर
देश के नए सीडीएस अनिल चौहान पहले लेफ्टिनेंट जनरल हैं जो अब तीनों सेनाओं के प्रमुख से ऊपर होंगे।
हालांकि, अनुभव-वरिष्ठता के हिसाब से वे मौजूदा तीनों सेना प्रमुखों से वरिष्ठ हैं। कार्यभार संभालने के बाद चार
स्टार वाले पहले सेवानिवृत्त अधिकारी होंगे।
राष्ट्रीय और रणनीतिक मामलों में अहम योगदान
कमांड के अलावा लेफ्टिनेंट जनरल चौहान ने सैन्य संचालन महानिदेशक के प्रभार सहित महत्वपूर्ण स्टाफ
नियुक्तियों को भी बखूबी निभाया। वह अंगोला में संयुक्त राष्ट्र मिशन के रूप में भी काम कर चुके हैं। उन्होंने
राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक मामलों में योगदान दिया। उन्हें परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल
आदि से सम्मानित किया गया है।
चौहान की पांच चुनौतियां
- थलसेना, वायुसेना और नौसेना के एकीकरण को पूरा करना होगा
- पांच थियेटर कमान बनाने के काम को आगे बढ़ाना होगा
- सेना में निजी भागीदारी और स्वदेशी रक्षा खरीद बढ़ाना
- अग्निपथ योजना को सफल बनाना
- सीमाओं पर चीनी गतिरोध से निपटना होगा
बालाकोट एयर स्ट्राइक के दौरान डीजीएमओ थे
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान ने मेजर जनरल रैंक में उत्तरी कमान में खास बारामूला सेक्टर में इन्फैंट्री डिवीजन
की कमान संभाली थी। बाद में लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में पूर्वोत्तर में एक कोर की कमान संभाली। सितंबर 2019
से पूर्वी कमान के जीओसी बने और 31 मई 2021 को सेवानिवृत्ति तक ये जिम्मेदारी संभाली। वह 2019 में
बालाकोट एयर स्ट्राइक के दौरान सैन्य अभियान के महानिदेशक (डीजीएमओ) थे