काँग्रेस के विदेश मंत्री सैम पित्रोदा के बयान “चीन हमारा दुश्मन नहीं” को लेकर विवाद बनता नजर आ रहा है, उनके इस सुझाव पर कि भारत को चीन को दुश्मन मानना बंद कर देना चाहिए, सत्तारूढ़ भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और उनकी पार्टी पर “चीन के प्रति जुनूनी आकर्षण” का आरोप लगाया।
उनसे सवाल किया गया था कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन से खतरों को नियंत्रित कर पाएंगे जिसकी प्रतिक्रिया में उन्होंने आईएएनएस को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा, “मैं चीन से खतरे को नहीं समझ पा रहा हूं। मुझे लगता है कि इस मुद्दे को अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है, क्योंकि अमेरिका में दुश्मन को परिभाषित करने की प्रवृत्ति है। मेरा मानना है कि अब समय आ गया है कि सभी देश आपस में सहयोग करें, न कि टकराव करें।”
इस पर पलटवार कर भाजपा ने कहा कि चीन के प्रति कांग्रेस के जुनून का मूल कारण 2008 में कांग्रेस और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बीच हुए समझौता ज्ञापन में निहित है।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता तुहिन सिन्हा ने कहा, “जिन लोगों ने हमारी 40,000 वर्ग किलोमीटर जमीन चीन को दे दी, उन्हें अब भी ड्रैगन से कोई खतरा नहीं दिखता। कोई आश्चर्य नहीं कि राहुल गांधी चीन से खौफ खाते हैं और IMEEC की घोषणा से एक दिन पहले BRI का समर्थन कर रहे थे। कांग्रेस पार्टी के चीन के प्रति जुनूनी आकर्षण का मूल रहस्य 2008 के रहस्यमय कांग्रेस-सीसीपी एमओयू में छिपा है।”