FSSAI के फैसले पर संदेह – Doubt on FSSAI’s decision

hAFUBAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAALwGsYoAAaRlbhAAAAAASUVORK5CYII= FSSAI के फैसले पर संदेह - Doubt on FSSAI's decision


फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथारिटी आफ इंडिया (FSSAI) ने जिस तरह आनन-फानन में ए1 और ए2 दूध को लेकर आदेश जारी किया था, वैसे ही उसने यू-टर्न भी लिया। अब तो पुराने फैसले के पीछे अनियमितता के भी संदेह खड़े हो रहे हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की गवर्निंग बाड़ी के सदस्य एवं पशु विज्ञानी वेणुगोपाल बदरवाड़ा ने पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। उन्हें शक है कि किसी लाबी के दबाव में मिल्क प्रोडक्ट के ए1 और ए2 लेबल पर प्रतिबंध लगाया गया। लेकिन इससे परे FSSAI के उस निर्देश को उपभोक्ता अधिकारों एवं गो-पालकों के संदर्भ में उचित नहीं माना जा रहा है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार भारतीय डेयरी प्रोडक्ट अभी भी उपभोक्ताओं को पूरी जानकारी नहीं देता है। इस फैसले से देसी नस्ल के मवेशियों की उपयोगिता भी कम होने की आशंका है।

FSSAI के पुराने फरमान को उन देशों की डेयरी कंपनियों के हित से जोड़कर देखा जा रहा है, जहां ए1 दूध का उत्पादन ज्यादा होता है। बता दें कि यूरोप, अमेरिका, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से आने वाली विदेशी गायों का दूध ए1 होता है। ए2 भारत की गायों से मिलने वाला दूध है। कई मेडिकल शोध में भी ए2 को ए1 डेयरी प्रोडक्ट से ज्यादा पौष्टिक माना जाता है। रहा है। ऐसे में उपभोक्ताओं को जानने का अधिकार है कि पैसे के बदले उन्हें क्या दिया जा रहा है। ए2 की लेबलिंग पर रोक का फायदा उन डेयरी कंपनियों को मिलता जो ए1 डेयरी प्रोडक्ट का ज्यादा कारोबार करती हैं। इससे उपभोक्ताओं की पसंद और गो-पालकों के साथ डेयरी कारोबारियों का व्यवसाय प्रभावित हो सकता था। यह भी सच है कि पिछले वर्षों में भारतीय डेयरी में भी ए। कैटेगरी दूध देने वाले मवेशियों का प्रवेश हो रहा है।

हाल के वर्षों में गाय के दूध का प्रचलन बढ़ा है, लेकिन उपभोक्ता को इसकी जानकारी नहीं दे जाती है कि वह दूध किस श्रेणी की गाय से लिया गया है। यही नहीं, जिस पैकेट पर गाय का दूध नहीं लिखा होता है वह गाय, भैंस और कुछ अन्य मवेशियों के दूध का मिश्रण हो सकता है। बहुत बड़ी संख्या ऐसे उपभोक्ताओं की है जो भैंस का दूध लेना पसंद करते हैं लेकिन डेयरी ऐसा उत्पाद नहीं दे रही है। यह भी नहीं बताया जाता है कि पैकेट का दूध पाउडर से बना है या सीधा गो-पालकों से लिया गया है। गर्मियों में दूध का उत्पादन कम होने पर ज्यादातर पाउडर से बने दूध की सप्लाई की जाती है। उपभोक्ता को इसकी जानकारी नहीं दी जाती है।

वेणुगोपाल ने डेयरी कंपनियों से कहा है कि पैकेट में दूध के स्रोत की जानकारी दी जानी चाहिए। उपभोक्ताओं के लिए पारदर्शिता सुनिश्चित कर स्वदेशी गायों के दूध एवं उसके उत्पादें के अनूठे लाभों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। दूध में मिलावट खूब की शिकायत आती है। पंजाब में दुग्ध उत्पादों के 18% नमूने फेल पाए गए हैं। हरियाणा में भी 28% नमूने खरे नहीं उतरे हैं। दूध में डिटर्जेंट, सौडा, यूरिया, ग्लुकोज एवं फार्मेलिन आदि मिलाकर ठगी की जाती है। दूध को गुणवत्ता में गिरावट के बाद भी एफएसएसएआइ की नजर कभी इस तरफ नहीं गई। ऐसे में मिलावट रोकने के लिए जिम्मेदार संस्था पर शक होना लाजमी है।

यदि आपको हमारा यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर करना ना भूलें और अपने किसी भी तरह के विचारों को साझा करने के लिए कमेंट सेक्शन में कमेंट करें।

UltranewsTv देशहित

यदि आपको हमारा यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर करना ना भूलें | देश-दुनिया, राजनीति, खेल, मनोरंजन, धर्म, लाइफस्टाइल से जुड़ी हर खबर सबसे पहले जानने के लिए UltranewsTv वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें।
pCWsAAAAASUVORK5CYII= परमवीर चक्र : मातृभूमि के लिए सर्वोच्च समर्पण

परमवीर चक्र : मातृभूमि के लिए सर्वोच्च समर्पण

भारत के उप-राष्ट्रपति – Vice Presidents of India

भारत के उपराष्ट्रपति – Vice Presidents of India

भारत के राष्ट्रपति | President of India

भारत के राष्ट्रपति : संवैधानिक प्रमुख 

Total
0
Shares
Leave a Reply
Previous Post
कुट्टू का आटा खाने से सैकड़ों लोग बीमार - Hundreds of people fall ill after eating buckwheat flour 

कुट्टू का आटा खाने से सैकड़ों लोग बीमार – Hundreds of people fall ill after eating buckwheat flour 

Next Post
उस्ताद विलायत खान - Ustad Vilayat Khan

उस्ताद विलायत खान – Ustad Vilayat Khan

Related Posts
Total
0
Share