महंगाई की रफ्तार में सितंबर में थोड़ी कमी आई है। थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति घटकर
10.7 प्रतिशत पर आ गई। रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार के प्रयासों से पिछले चार महीने से गिरावट का
दौर जारी है हालांकि यह अब भी दस प्रतिशत के स्तर से ऊपर बनी हुई है।
डेढ़ साल से सबसे कम थ्ाोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति (डब्ल्यूपीआई) अगस्त में 12.41 थी,
जो इस बार घटकर 10.7 प्रतिशत पर आ गई। यह 18 महीने का सबसे निचला स्तर है। खाद्य वस्तुओं,
ईंधन के दाम में नरमी और विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में कमी से ऐसा हुआ है। पिछले साल सितंबर
में थोक महंगाई दर 11.80 फीसदी रही थी।
मई के बाद कमी आई इस साल मई महीने में डब्ल्यूपीआई 15.88 फीसदी के रिकॉर्ड ऊंचे स्तर पर पहुंच
गई थी। अब लगातार चौथे महीने गिरावट का रुख देखने को मिला है। लगातार 18वें महीने, यह दहाई
अंकों में टिकी हुई है। सरकार ने बयान में कहा है कि सितंबर में मुद्रास्फीति कम होने की वजह मुख्य
रूप से खनिज तेलों, खाद्य वस्तुओं, कच्चा पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, रासायनिक उत्पाद, मूल धातु,
बिजली, कपड़ा आदि की कीमतों में पिछले वर्ष के समान महीने की तुलना में तेजी है। हालांकि, इनमें
अगस्त के मुकाबले थोड़ी नरमी है।
और कम होगी अर्थशास्त्रित्त्यों का कहना है कि डब्ल्यूपीआई में धीरे-धीरे गिरावट आने की मुख्य वजह
जिंस के दामों में नरमी आना है। पुनरुद्धार की कुल गति और जिसों के दामों में कमजोरी के परिदृश्य
को देखते हुए मुद्रास्फीति और कम होगी। कुछ क्षेत्रों में बिजली के दाम बढ़ने से यह लाभ कुछ कम रहा
है।
सितंबर में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति घटकर 11.03 हो गई जो अगस्त में 12.37 पर पहुंच गई थी।
समीक्षाधीन महीने में सब्जियों के दाम बढ़कर 39.66 पर पर पहुंच गए जो अगस्त में 22.29 फीसदी थे।
ईंधन और बिजली में महंगाई दर सितंबर में 32.61 फीसदी रही जो अगस्त में 33.67 थी। विनिर्मित
उत्पादों और तिलहन की मुद्रास्फीति क्रमश 6.34 और नकारात्मक 16.55 थी।
अक्तूबर में और राहत के आसार
महंगाई दर अनुमान के मुताबिक ही रही है। केयर रेटिंग की अर्थशास्त्रत्त्ी रजनी सिन्हा के मुताबिक,
वैश्विक स्तर पर कमोडिटी के बढ़ते दामों की वजह से अक्तूबर में महंगाई 10 के नीचे देखने को मिल
सकती है। उनके मुताबिक थोक महंगाई के गिरावट का असर कुछ दिनों बाद खुदरा महंगाई में भी देखने
को मिल सकता है।