जानिए क्या है माता पिता के कानूनी अधिकार, संतान बुढ़ापे में क्यों माता पिता को करते हैं अनदेखा

जानिए क्या है माता पिता के कानूनी अधिकार, संतान बुढ़ापे में क्यों माता पिता को करते हैं अनदेखा
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हर माता-पिता की तमन्ना होती है पढ़ लिखकर उनका नाम रोशन करें और बुढ़ापे में उनका सहारा बने. आए दिन
देखने को मिलता है कि संतान बूढ़े मां बाप को अनदेखी करते हैं. जानते हैं माता-पिता की कानून में क्या है
अधिकार?

बच्चों को भरण-पोषण की जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी

केंद्र सरकार ने 2007 में माता पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम बनाया। इसके
तहत बच्चों पर अपने माता-पिता, दादा दादी के भरण-पोषण की जिम्मेदारी तय की गई है। इस कानून में माता
पिता को अपनी संतान ( बेटा / बेटी ) या कानूनी उत्तराधिकारियों से अपने भरण-पोषण का खर्च मांगने का
अधिकार दिया गया है। इस कानून के तहत विवाहित बेटी भी माता पिता का भरण-पोषण करने के लिए बाध्य है,
क्योंकि संपत्ति में बेटी को भी बेटे के बराबर हक दिया गया है।

संतान को संप बेदखल कर

माता-पिता और वरिष्ट भरण-पोषण और कल अधिनियम-2007 के पिता और वरिष्ठ नाग से जीवन जीने का अ
गया है। इस कानून में कि यदि संतान माता अनदेखी करती है या करती है तो माता-पि संपत्ति से बेदखल क

माता-पिता अपनी शिकायत कहां करें

यदि संतान माता-पिता की देखरेख और भरण पोषण नहीं करती है तो उनके पास दो विकल्प हैं। माता पिता इसकी
शिकायत संबंधित न्यायाधिकरण यानी जिलाधिकारी के समक्ष कर सकते हैं। इसके अलावा, अपराध प्रक्रिया संहिता
की धारा 125 के तहत भी गुजारा भत्ता मांग सकते हैं।

कानून के प्रति जागरूकता फैलाने की जरूरत

नहीं करती है तो उनके पास दो विकल्प है। माता पिता इसकी शिकायत संबंधित न्यायाधिकरण यानी जिलाधिकारी
के समक्ष कर सकते हैं। इसके अलावा, अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत भी गुजारा भत्ता मांग सकते
हैं।

कानून में स्पष्ट प्रावधान है कि यदि कोई पुरुष या महिला अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ है और पर्याप्त
साधन होने के बाद भी संतान के द्वारा उसकी उपेक्षा की जाती है या वे भरण पोषण करने से इनकार करता है, तो
वह व्यक्ति (पिता या माता) प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट या सक्षम प्राधिकार में शिकायत कर सकते हैं। लेकिन
अधिकांश माता-पिता इन कानूनों से अनजान हैं, इसलिए सरकार को इन कानूनों को प्रभावी तरीके से लागू करने के
साथ साथ इसके बारे में लोगों को जागरूक भी करना चाहिए।

संतान की मौत पर मुआवजा कानून के अनुसार, संतान की मौत होने पर माता-पिता को बीमा का दावा करने,
मुआवजा हासिल करने, उसके खाते से शेष रकम पाने और उसकी संपत्ति पर कानूनी अधिकार पाने का हक है।

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