क्या 2023 के बजट में 80 सी की लिमिट बढ़ाई गई है ? – Section 80 C Limit

वर्ष 2023 का बजट कल संसद में पेश किया गया। इस बजट में इनकम टैक्स पर मिलने वाली भारी भरकम छूट ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा लेकिन इस बजट के दौरान किसी ने सेक्शन 80 सी की लिमिट पर ध्यान नहीं दिया। ध्यान ना देने की एक बड़ी वजह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बजट के इस सेक्शन का ज़िक्र ना करना भी हो सकता है। इस पर किसी भी तरह की कोई चर्चा ना होने का मतलब यह भी हो सकता है कि जो लोग इनकम टैक्स की पुरानी व्यवस्था में बने रहेंगे वे इसके तहत डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। इस सेक्शन के अंतर्गत 15 लाख रुपय का अधिकतम डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है।

पिछली बार बढ़ी थी लिमिट ?
आख़िरी बार सेक्शन 80 सी की कीमत साल 2014 - 2015 में बढ़ाई गई थी। इस लिमिट में 50,000 रुपय की बढ़ोतरी की गई थी। इसे 1 लाख रुपय से बढ़ाकर 15 लाख रुपय किया गया था। यह टैक्स सेविंग में काफी मददगार साबित होता है। इनकम टैक्स की पुरानी व्यवस्था में निवेश की गई इस रकम पर क्लेम किया जा सकता था। कुछ लोग 80 सी के तहत डिडक्शन क्लेम नहीं कर पाते। ऐसे लोगों के लिए सरकार ने कम टैक्स दरों वाली व्यवस्था की शुरुआत की थी। इसका ऐलान सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2020 - 2021 में किया गया था। 1 अप्रैल 2020 से लोगों के पास दो विकल्प थे या तो वह पुरानी टैक्‍स व्‍यवस्‍था को चुनकर डिडक्‍शन और एक्‍जेम्‍पशन को क्‍लेम करें। वरना, कम टैक्‍स दर वाली नई व्यवस्था को चुनें। लेकिन इनकम टैक्स की नई व्यवस्था में डिडक्‍शन और एक्‍जेम्‍पशन का बेनिफिट नहीं लिया जा सकता।

कुछ खास इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट पर मिलता है फायदा
सेक्शन 80 सी के तहत डिडक्शन क्लेम करने के लिए कुछ खास इंस्ट्रूमेंट में निवेश या खर्च करना ज़रूरी होता है। इसका ज़िक्र इनकम टैक्स क़ानून में किया गया है। कर्मचारी प्रोविडेंट फण्ड (ईपीएफ), पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ), इक्विटी लिंक्‍ड सेविंग स्‍कीम (ईएलएसएस), सुकन्‍या समृद्ध‍ि योजना, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट इत्‍यादि उन प्रोडक्‍टों में शामिल हैं जिनमें 80सी के तहत डिडक्‍शन का लाभ मिलता है। इसी तरह बच्‍चों की ट्यूशन फीस, लाइफ इंश्‍योरेंस पॉलिसी पर खर्च के साथ होम लोन के प्रिंसिपल के रिपेमेंट पर भी यह डिडक्‍शन उपलब्‍ध है।

सेक्शन 80 सी के तहत अलग - अलग तरह के निवेश प्रोडक्टों के फीचर भी अलग - अलग होते हैं। इनके रिटर्न, लिक्विडिटी और रिटर्न पर लगने वाला टैक्‍स अलग-अलग होता है। निवेश करने से पहले इन फीचर्स को देख लेना जरूरी है।