मनीष सिसोदिया 7 घंटे के लिए जेल से बाहर

दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम और आप नेता मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) को 26 फरवरी को सीबीआई ने शराब घोटाले में लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था। बाद में 9 मार्च को ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। सिसोदिया तब से जेल में ही बंद हैं।

मनीष सिसोदिया ने पत्नी की खराब सेहत का हवाला देकर अंतरिम जमानत मांगी थी। कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की अंतरिम जमानत की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा है। हालाँकि, कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ उन्हें अपनी पत्नी से शनिवार, 3 जून को मिलने की अनुमति दे दी है।

दरअसल, रविवार सुबह मनीष सिसोदिया की पत्नी सीमा सिसोदिया (Seema Sisodia) की तबीयत अचानक बिगड़ गई, जिस कारण उन्हें तुरंत नजदीकी एलएनजेपी अस्पताल के इमरजेंसी में एडमिट करना पड़ा।

अदालत ने कुछ घंटे की जमानत देते हुए कई शर्तें भी लगाई हैं। जमानत की अवधि के दौरान सिसोदिया अपने घरवालों के अलावा किसी और से बात नहीं करेंगे। जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने अपने आदेश में ‘आप’ नेता सिसोदिया को केवल घरवालों से ही मिलने की अनुमति दी है। कोर्ट ने कहा कि सिसोदिया इस दौरान मीडिया से बात नहीं करेंगे। इसके अलावा वो मोबाइल या इंटरनेट का भी इस्तेमाल नहीं करेंगे।

क्या थी दिल्ली शराब नीति?

नवंबर 2021 में दिल्‍ली सरकार ने बड़े जोर-शोर से नई आबकारी नीति लॉन्‍च किया था।

दिल्ली शराब बिक्री नीति के तहत, सरकार का शराब बेचने से कोई लेना-देना नहीं था और केवल निजी दुकानों से ही इसे बेचने की अनुमति थी। इसका मुख्य उद्देश्य शराब की कालाबाजारी को रोकना, राजस्व में वृद्धि करना और उपभोक्ता अनुभव में सुधार करना था। इस नयी निति के अंतर्गत शराब की होम डिलीवरी और दुकानों को सुबह 3 बजे तक खुले रहने की भी अनुमति थी। लाइसेंसधारी शराब पर असीमित छूट भी दे सकते थे।

आख़िर क्या है शराब घोटाला (Delhi Liquor Scam)?

हालांकि, बीजेपी ने आरोप लगाए कि शराब लाइसेंस बांटने में धांधली हुई और केवल चुनिंदा डीलर्स को फायदा पहुंचाया गया। जुलाई, 2022 में उपराज्‍यपाल ‘वी के सक्सेना’ ने मुख्य सचिव से रिपोर्ट मांगी और रिपोर्ट के आधार पर ऐलजी ने सीबीआई जांच की मंजूरी दे दी। उसी केस की जांच करते हुए सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को अरेस्ट किया है।

धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) का भी है आरोप -

इसके अतिरिक्त प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाते हुए एक जांच शुरू की, और दावा किया कि ‘साउथ ग्रुप' नामक एक शराब लॉबी ने गोवा चुनाव अभियान के लिए गिरफ्तार व्यवसायियों में से एक के माध्यम से आम आदमी पार्टी को रिश्वत में लगभग 100 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।