क्वाड सदस्यों में दिखा तालमेल हो, न्यूयॉर्क में हजारों भारतीयों से प्रधानमंत्री (Modi in America) की मुलाकात में दिखी ऊर्जा हो या फिर दिग्गज कंपनियों के साथ बैठक में दिखा उत्साह, यही दर्शाता है कि यह दौरा कूटनीतिक दृष्टि से कामयाब तो रहा ही, ‘आकांक्षी भारत’ सहयोगियों के साथ चुनौतियों से निपटने को भी तैयार है।
अमेरिका में है चुनावी माहौल – There is an election atmosphere in America
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से ऐन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की त्रिदिवसीय अमेरिका यात्रा भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय रिश्तों के लिहाज से तो अहम रही ही, अंतरराष्ट्रीय राजनीति व बहुपक्षीय कूटनीति के मामले में भी बेहद महत्वपूर्ण साबित हुई है। दरअसल, वैश्विक भू-राजनीति में चीन एक प्रमुख खिलाड़ी के तौर पर उभर रहा है और उसके इस उदय ने वैश्विक शक्ति संतुलन को बिगाड़ा है। यही वजह है कि विलमिंगटन में संपन्न क्वाड सम्मेलन में इसके चारों सदस्य देशों-भारत, अमेरिका, जापान व ऑस्ट्रेलिया ने चीन का नाम लिए बगैर हिंद-प्रशांत समुद्री क्षेत्र में उसके आक्रामक व्यवहार पर विरोध दर्ज कराया।
क्वाड नहीं है किसी के भी खिलाफ – Quad is not against anyone
ऐसे वक्त में, जब पूरी दुनिया संघर्षों व तनावों से घिरी है, प्रधानमंत्री मोदी का यह स्पष्ट करना भी महत्वपूर्ण है कि क्वाड किसी के भी खिलाफ नहीं है। क्वाड से पहले मोदी और बाइडन की द्विपक्षीय बैठक जहां चीन के इरादों, रूस के संकट और अन्य वैश्विक चुनौतियों पर केंद्रित रही, तो वहीं अपने जापान व ऑस्ट्रेलिया के समकक्षों के साथ वैश्विक साझेदारी को आकार देने में भारत की भूमिका पर भी उनकी वार्ता हुई।
भारत में होना था क्वाड सम्मलेन – Quad conference was to be held in India
उल्लेखनीय है कि क्वाड सम्मेलन पहले भारत में ही होने वाला था, लेकिन बाइडन के आग्रह पर भारत सम्मेलन की मेजबानी अमेरिका को सौंपने को राजी हो गया, जिससे दोनों देशों के बीच घनिष्ठता के ही संकेत मिलते हैं। अमेरिका के सहयोग से भारत में पहला राष्ट्रीय सुरक्षा सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट लगाने पर भी सहमति बनी है। चूंकि, भारत अगले वर्ष क्वाड की अध्यक्षता संभालने के लिए बिल्कुल तैयार है, इसलिए यह देखने वाली बात होगी कि वह आपसी सहयोग के इस प्रवाह को कैसे आगे बढ़ाता है।
भारत ने विकसित किया है अपना तालमेल – India has developed its coordination
दरअसल, क्वाड जैसे मंचों पर भारत की सक्रिय भूमिका न केवल क्षेत्रीय स्थिरता के लिहाज से अहम है, बल्कि उभरते हुए वैश्विक नेतृत्वकारी देश के रूप में भी उसकी पहचान को सशक्त बनाती है। बाइडन के अलावा क्वाड के अन्य सदस्य देशों द्वारा भारत की भूमिका की सराहना, चीन के मुकाबिल खड़े होने की उसकी शक्ति की स्वीकार्यता ही दर्शाती है। क्वाड सम्मेलन में चारों देशों में दिखा तालमेल हो, न्यूयॉर्क में हजारों भारतीयों से प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात में दिखी ऊर्जा हो या फिर दिग्गज कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों के साथ हुई बैठक में दिखा उत्साह, यही दर्शाता है कि अमेरिका का यह दौरा न केवल कूटनीतिक दृष्टि से कामयाब रहा, बल्कि इससे यह भी पता चलता है कि ‘आकांक्षी भारत’ की महत्त्वकांक्षा वैश्विक राजनीति में अपनी छाप छोड़ने और सहयोगियों के साथ मिलकर चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार है।
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