तीन महीनों के भीतर सर्वे वेसल और डाइविंग सपोर्ट वेसल भी शामिल होंगी। कुल आठ शिप और सबमरीन में से सिर्फ एक शिप रूस में बन रहा है।
इंडियन नेवी को अगले तीन महीनों में चार नए वॉरशिप और एक नई सबमरीन मिल जाएगी। इसके साथ ही नेवी को एक सर्वे वेसल भी मिलेगा और डाइविंग सपोर्ट वेसल भी। कुल मिलाकर 8 शिप और सबमरीन में से एक शिप रूस में बन रहा है और बाकी सभी भारत के शिपयार्ड में ही बने हैं और टेस्टिंग के अलग स्टेज में हैं।
रूस में बन रहा तलवार क्लास के तीसरे बैव का पहला गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट नवंबर तक इंडियन नेवी में शामिल हो सकता है। यह 3600 टन से ज्यादा वजन का है। इसमें 180 नौसैनिक 9000 किलोमीटर तक की यात्रा कर सकते हैं। यह फ्रिगेट ब्रह्मोस मिसाइल से लैस है। साल के अंत तक विशाखापट्टनम क्लास का चौथा और आखिरी गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर इंडियन नेवी में कमिशन हो जाएगा।
ब्रह्मोस से लैस होगा डिस्ट्रॉयर – Destroyer will be equipped with BrahMos
यह डिस्ट्रॉयर 7400 टन वजन का है और इसमे ब्रह्मोस मिसाइल लगी है, जो लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइल है। इंडियन नेवी को इसी साल नीलगिरी क्लास का पहला गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट नीलगिरी भी मिलेगा, जिसका वजन 6670 टन है और इसमें आठ ब्रह्मोस मिसाइल लगी हैं। यह नवंबर में नेवी में कमीशन होगा।
कलवारी क्लास की छठी और अंतिम सबमरीन नवंबर में नेवी में शामिल होगी, जिसमें 43 लोग रह सकते हैं और यह सबमरीन 50 दिनों तक पानी के अंदर रह सकती है। यह सबमरीन एक बार में 12000 किलोमीटर तक की यात्रा कर सकती है। इसके अलावा समंदर के अंदर रिसर्च करने वाले संध्यायक क्लास के बड़े सर्वे वेसल का दूसरा शिप इस साल के अंत तक नेवी में शामिल होगा। साथ ही समंदर में संकटग्रस्त सबमरीन की सहायता के लिए डाइविंग सपोर्ट वेसल और डाइविंग सपोर्ट क्राफ्ट भी इस साल के अंत तक नेवी में शामिल हो जाएंगे।
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