पहला बजट आने के बाद क्यों इतना सतर्क रहती है सरकार – Budget 2023

मोदी सरकार जब से सत्ता में आई है तब से बजट पेश करने से सम्बन्धित तमाम नियमों में बदलाव किया गया है। इससे पहले कांग्रेस सरकार सत्ता में काबिज़ थी। उस दौरान बजट पेश करने के तौर तरीके काफी अलग हुआ करते थे। कांग्रेस पार्टी के सत्तारूढ़ होने पर फरवरी माह के अंतिम दिन बजट पेश किया जाता था। लेकिन 2016 में जब से बीजेपी ने देश की बागडोर संभाली है उसके बाद से ही बजट को 1 फरवरी से लागू किया जाने लगा है। इस बार का बजट सरकार के लिए काफी खास होने वाला है क्योंकि यह बजट 2024 के आम चुनावों से पहले लागू होने वाला आखिरी पूर्ण बजट है। ज़ाहिर है कि सरकार आलोचकों की चुनौतियों और लोगों की ज़रूरतों को इस बजट में शामिल करना चाहेगी।

आज सुबह 11 बजे बजट पेश किया जाएगा। लेकिन क्या आप जानते हैं देश का पहला बजट शाम 5 बजे पेश किया गया था। इस दौरान भारत औपनिवेशिक सत्ता की हुकूमत मानने के लिए विवश था। यहीं कारण है देश के पहले बजट को शाम 5 बजे लागू किया था। इस बजट में ब्रिटिश सरकार ने अपनी मनमानी की थी। यह बजट पूर्ण रूप से विवादों से घिरा हुआ था। इस लेख में आगे आपको यह भी जानने को मिलेगा कि इस प्रक्रिया के इर्द गिर्द गोपनीयता का माहौल क्यों रखा जाता है।

भारत के स्वतंत्र होने के उपरांत देश का पहला बजट केंद्रीय वित्त मंत्री सर आरके शनमुखम चेट्टी द्वारा पेश किया गया था। वह कांग्रेस नेता नहीं थे। वह ब्रिटिश सरकार का समर्थन करने वाली जस्टिस पार्टी के नेता थे। वह एक उद्योगपति होने के साथ ही कोचीन राज्य के पूर्व दीवान और चेम्बर ऑफ़ प्रिंसेस के संवैधानिक सलाहकार थे।

पहले बजट में 19739 करोड़ का कुल व्यय निर्धारित किया गया था। इस बजट में 9274 करोड़ रुपय रक्षा बजट के लिए आवंटित किया गया था। इस बजट को शाम 5 बजे पेश किया गया था क्योंकि राजनेता और अधिकारी चाहते थे कि ब्रिटेन में उनके समकक्ष विवरणों का आराम से पालन किया जा सके। भारत में जब शाम 5 बजे बजट पेश किया जाता था तब उस समय ब्रिटेन में दोपहर का समय हुआ करता था।

विवादों से घिरा था पहला बजट
भारत का पहला बजट विवादों में उलझा हुआ था। ब्रिटेन के राजकोष के चांसलर ह्यूग डाल्टन ने लापरवाही से एक पत्रकार को बजट में भारत की तरफ से प्रस्तावित कुछ टैक्स में बदलाव के बारे में जानकारी दे दी। भारतीय संसद में चेट्टी बजट भाषण की शुरुआत करते इससे पहले ही पत्रकार ने बजट की जानकारी मीडिया के माध्यम से जनता को दे दी थी। इस प्रकरण के बाद डाल्टन को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसके बाद से गोपनीयता भारतीय बजट को पेश करने के लिए अनिवार्य हो गई।