भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों और एनबीएफसी डिजिटल माध्यम से दिए जाने वाले कर्ज को संशोधित नियमों के
अंतर्गत लाने की बात कही है. इसके लिए उन्हें व्यवस्था बनाने को लेकर 30 नवंबर तक का समय दिया गया है
इस पहल का मकसद ग्राहकों के हित की रक्षा करने का है. आरबीआई ने एक परिपत्र में कहा है कि कार्ड सेवा
प्रदाता या डिजिटल ऋण ऐप के साथ भी अनियमित इकाईयों की आउटसोर्सिंग व्यवस्था उनके दायित्वों को कम
नहीं करती है. विनियमित इकाइयां तय करके आउटसोर्सिंग संस्थान मौजूदा दिशा निर्देशों का पालन करें.
इसके पहले आरबीआई ने 10 अगस्त को जारी परिपत्र में कहा था कि कर देने की प्रक्रिया में कोई भी शुल्क आदि
अगर एसपी को देना है वह विनियमित इकाइयां देंगे ना की कर्ज लेने वाला. केंद्रीय बैंक ने कुछ इकाइयों द्वारा
कर्ज पर जरूरत से अधिक व्याज लेने और बकाया ऋण की वसूली के लिए गलत तरीके का इस्तेमाल करने से
रोकने के लिए पिछले महीने डिजिटल के नियम को खड़ा किया था. आरबीआई अब नए नियमों के तहत इसकी
सख़्ती से निगरानी करेगी.
परिपत्र में कहा गया है कि निर्देश नया कर्ज लेने वाले मौजूदा ग्राहकों और नए ग्राहकों पर लागू होंगे. नई व्यवस्था
के तहत सभी कर्ज वितरण और भुगतान केवल कर्ज लेने वाले और विनियमित इकाईयों के बैंक खातों के बीच
करने की जरूरत होगी.
आरबीआई ने ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण आपूर्ति व्यवस्था का कायाकल्प करने के लिए मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में
किसान क्रेडिट कार्ड के डिजिटल करण जी पायलट परियोजना शुरू करने का भी फैसला किया है.