आजकल सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Bada) का नाम ‘Tankhaiya’ के रूप में चर्चित है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस पदवी को पहले भी कई प्रमुख हस्तियों ने धारण किया था।
गुरुद्वारे में करते सेवा
‘Tankhaiya’ का इतिहास सिर्फ पंजाब तक सीमित नहीं है। इस शब्द का इस्तेमाल तब किया गया था जब किसी सिख नेता ने धार्मिक नियमों का उल्लंघन किया होता था।
राष्ट्रपति, केंद्रीय मंत्री, और सिख नेता की चित्रण
सिखों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण नाम है, पूर्व राष्ट्रपति और केंद्रीय मंत्री, जिन्होंने इस उपाधि को अपने जीवन में स्वीकार किया था।पूर्व राष्ट्रपति ने गुरुद्वारे में अपनी सेवा की थी, और उनका योगदान धर्म और समाज के लिए अविस्मरणीय था। वे न केवल प्रशासनिक सेवा में थे, बल्कि सिख समुदाय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के कारण भी प्रसिद्ध थे।
सिख धर्म के प्रतीक, गुरुद्वारा
तनखैया का अर्थ होता है “जो धार्मिक कर्तव्यों का उल्लंघन करता है”। इस पदवी को सिख समुदाय में एक सजा के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।सुखबीर सिंह बादल, जिनके नाम से आजकल यह शब्द जुड़ा हुआ है, उनके परिवार ने भी सिख समुदाय की सेवा की है। हालांकि, उनका नाम इस उपाधि के साथ जुड़ने से पहले कई अन्य प्रमुख हस्तियां भी इसके शिकार हो चुकी थीं।
सुखबीर सिंह बादल
सुखबीर बादल पर आरोप था कि उन्होंने कुछ धार्मिक नियमों का उल्लंघन किया था, जिसके कारण उन्हें ‘Tankhaiya’ की उपाधि मिली। यह विवाद राजनीति और धर्म के बीच एक जटिल मुद्दा बन गया।हालांकि, इस उपाधि का एक सकारात्मक पहलू भी है। जब किसी व्यक्ति को Tankhaiya कहा जाता है, तो यह एक आत्मनिर्भर सुधार की प्रक्रिया का हिस्सा बनता है। ऐसे व्यक्तियों को अपनी गलतियों को सुधारने का मौका मिलता है।
सुखबीर बादल और सिख समुदाय के लोग
आज भी सिख समाज में यह पदवी सम्मान के साथ-साथ सुधार की दिशा में एक कदम मानी जाती है, और ऐसे व्यक्तियों को गुरुद्वारे में सेवा करने के लिए प्रेरित किया जाता है।Tankhaiya की उपाधि एक ऐतिहासिक प्रतीक है, जो सिख समुदाय में धार्मिक और नैतिक सिद्धांतों का उल्लंघन करने वालों को सुधारने के लिए एक अवसर प्रदान करती है।
गुरुद्वारे में सेवा करती सिख युवा पीढ़ी
चाहे सुखबीर सिंह बादल हों या कोई और, ‘Tankhaiya’ की उपाधि इस बात की याद दिलाती है कि गलतियों से सीखने और उन्हें सुधारने का अवसर हमेशा होता है।
“इतिहास में सबक छिपे होते हैं, और Tankhaiya का ये उदाहरण हमें यह सिखाता है कि सुधार की राह पर चलने से ही सच्ची सेवा और धर्म की प्राप्ति होती है।”