धान की फसल में बौना रोग फैलने के कारणों का पता चल गया है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, दिल्ली
(आईएआरआई) के अनुसार धान की फसल में बौना रोग के लिए पहली बार चीन में मिला सदर्न राइस ब्लैक
स्ट्रीक्ड डवार्फ वायरस (एसआरबीएसडीवी) जिम्मेदार है। तीन तरह की जांच से इसकी पुष्टि हुई है, इसमें आरटी-
पीसीआर जांच भी शामिल है।
आईएआरआई के निदेशक डॉक्टर एके सिंह का कहना है कि खेतों में मिलने वाला कीड़ा जिसकी पीठ सफेद रंग की
होती है ये इस वायरस का वाहक है। पौधों में ये वायरस मिला है, लेकिन बीज के भीतर इसके मिलने का कोई
साक्ष्य नहीं है। ये वायरस पौधे को पोषक तत्व पहुंचाने वाले उत्तकों को प्रभावित करता है जिससे पौधे का विकास
बुरी तरह से प्रभावित होता है। राहत की बात ये है कि जिन खेतों में ये देखने को मिला है वहां पर पूरी फसल
खराब नहीं हुई है।
चीन में मिला था एसआरबीएसडीवी एसआरबीएसडीवी फिजीवायरस का जीन है जो पहली बार 2008 में चीन में
मिला था। इसकी पुष्टि तीन तरह की जांच के बाद हुई है। पौधों की इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी, आरटी-पीसीआर और
रियल टाइन क्वांटीटेटिव पीसीआर जांच के नतीजों के वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं।
कितना खतरनाक है ये
चीन वर्ष 2010 में 13 प्रांतों में फैली इस बीमारी से 13 लाख हेक्टेयर में लगी धान की फसल बर्बाद हो गई थी।
2012 में सात लाख हेक्टेयर में लगी फसल बर्बाद हुई थी।
वियतनाम वर्ष 2010 में 29 प्रांतों में 60 हजार हेक्टेयर में लगी धान की फसल पूरी तरह खराब हुई थी। 2012 में
पांच लाख हेक्टेयर में लगी फसल खराब हुई थी।
यहां किया गया अध्ययन
हरियाणा के सोनीपत, पानीपत, करनाल, कुरुक्षेत्र, अंबाला और यमुनानगर में 24 खेतों में अध्ययन के बाद वायरस
की पुष्टि हुई। वायरस से कम प्रभावित खेतों में 2 से 10 तो अधिक प्रभावित होने वाले खेतों में 20 फीसदी तक
फसल प्रभावित हुई है।