माना जा रहा है कि यह यूक्रेन में युद्ध की दिशा को लेकर एक अहम बातचीत थी।
मंगलवार को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच टेलीफोन पर दो घंटे बात हुई। अमेरिका का मकसद ’30 दिन का तत्काल और पूर्ण युद्धविराम’ था।
अमेरिका यूक्रेन को पहले ही अपनी शर्तें पर युद्धविराम करने पर मजबूर कर चुका है, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की के लिए इस पर राज़ी होना कठिन था, जो नए रूसी आक्रमण से अपने देश की रक्षा के लिए अमेरिका से सुरक्षा की गारंटी चाहते थे।
ट्रंप-पुतिन की बातचीत और रूस में इसे कैसे देखा जा रहा है, ये समझने के लिए बीबीसी के रूस संपादक स्टीव रोज़नबर्ग और बीबीसी की मध्य यूरोप संवाददाता सारा रेन्सफ़ोर्ड का विश्लेषण यहां पेश है।
डोनाल्ड ट्रंप ने फॉक्स न्यूज को बताया, “हमारी बातचीत बहुत अच्छी रही।”
ट्रंप के दूत स्टीव विटकॉफ ने कहा, “अपने देश को अंतिम शांति समझौते के करीब ले जाने के लिए आज राष्ट्रपति पुतिन ने जो कुछ किया, उसकी मैं सराहना करता हूं।”
रूस बिना शर्त युद्धविराम पर सहमत नहीं हुआ, इसके अलावा राष्ट्रपति पुतिन ने शांति के लिए अपनी पहले की शर्तें भी रख दीं।
इनमें यूक्रेन को पश्चिमी सैन्य सहायता बंद करना और यूक्रेन के साथ खुफिया जानकारी साझा न करना, साथ ही यूक्रेन में लामबंदी को रोकना शामिल है। ऐसी शर्तों को व्यापक रूप से यूक्रेन के आत्मसमर्पण को सुनिश्चित करने के तरीके के रूप में देखा जाता है।
यूक्रेन का इन शर्तों पर सहमत होना कठिन लगता है।
लेकिन क्या रूस ट्रंप प्रशासन को ये समझा सकेगा कि ऐसी शर्तें स्वीकारी जा सकती हैं? और अगर ऐसा हुआ तो क्या अमेरिका यूक्रेन को ऐसी शर्तें स्वीकार करने के लिए मजबूर करेगा?