वक़्फ़ कानून के खिलाफ मुस्लिमों की सबसे बड़ी संस्था जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की सोमवार को फिर अहम बैठक हुई है। मौलाना महमूद मदनी की अध्यक्षता में आयोजित मीटिंग में आगे की रणनीति पर मंथन किया गया और सरकार तक संदेश पहुंचाने पर भी चर्चा की हुई है।
बैठक में सामाजिक और सामुदायिक सद्भाव बनाने के साथ-साथ सांकेतिक विरोध की रणनीति पर भी मंथन हुआ। इससे पहले रविवार की भी जमीयत की वर्किंग कमेटी की बैठक हुई थी। जमीयत के प्रमुख महमूद मदनी ने कहा था कि हम हर कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं। वक़्फ़ का विरोध करते रहेंगे। जमीयत ने समर्थकों से देशभर में वक़्फ़ कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की अपील की है।
बैठक में क्या-क्या मंथन हुआ?
1. जमीयत की बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि पुराने कानून के मुकाबले नए वक़्फ़ कानून में ऐसे कौन-कौन से प्रावधान हैं, जिनको लेकर मुस्लिम समाज को दिक्कत हो सकती है। वक़्फ़ बाई यूजर के मसले पर चर्चा हुई।
2. भारतीय पुरातत्व विभाग के तहत आने वाली उन जमीनों पर भी चर्चा हुई, जो सुल्तानों के जमाने से वक़्फ़ की गई हैं। ऐसी जमीनों पर आने वाली कानूनी अड़चनों पर भी चर्चा हुई।
3. नए वक़्फ़ कानून में पांच साल प्रैक्टिस मुस्लिम का प्रावधान रखा गया है। जिसके चलते कुछ सदस्यों ने मुसलमानों को वक़्फ़ की बजाय ट्रस्ट बनाने की बात उठाई।
4. आम मुसलमानों को पैनिक ना किया जाए। इस संदेश को लोगों तक ले जाने की मुहिम पर चर्चा हुई।
5. मुसलमानों के बीच नए कानून को लेकर नाराजगी का फायदा कोई राजनीतिक दल किसी तरह उठाने ना पाए, इसे जनता के बीच ले जाने पर चर्चा हुई। दरअसल, नए वक़्फ़ कानून में एक महत्वपूर्ण प्रावधान है कि जो कोई भी इस्लाम धर्म अपनाता है तो उसे वक़्फ़ में दान देने से पहले 5 साल तक इस्लाम धर्म का पालन करना होगा।
6. सदस्यों ने कहा कि नया कानून वक़्फ़ की जमीन पर सरकार का सीधा हमला है. कानून लागू होने पर नए मसले खड़े होंगे।
7. सदस्यों ने इस बात पर भी चर्चा की कि कानून लागू होने के चलते उत्तर प्रदेश और बिहार के मुसलमानों और मुस्लिम संगठनों के सामने बड़ी चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं।
8. सदस्यों ने इस बात पर भी जोर दिया कि आम मुसलमानों तक यह संदेश पहुंचाया जाए कि अब हमारे पास कानूनी रास्ते क्या हैं।
9. वक़्फ़ की जमीनों को लेकर कानूनी मसले सामने आएंगे तो उनसे कैसे लड़ा जाए।
10. जमीयत अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग इलाकों में इस कानून के लागू होने के प्रभाव और कानूनी अड़चनों को स्टडी करेगा।
इससे पहले जमीयत-उलमा-ए-हिंद के सचिव नियाज अहमद फारूकी ने कहा था, यह लोकतंत्र बनाम तानाशाही है।हमारी स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है और हमारी आवाज को दबाया जा रहा है। हम कोई हिंसा नहीं करेंगे और हिंसा नहीं होने देंगे। मुर्शिदाबाद में जो हुआ उसके लिए सरकार जिम्मेदार है। अगर आप लोगों को शांतिपूर्ण तरीके से विरोध नहीं करने देंगे तो यही होता है। वक़्फ़ संशोधन अधिनियम से बिल्डरों को फायदा होगा।