कमलापति त्रिपाठी एक भारतीय राजनीतिज्ञ होने के साथ साथ लेखक, पत्रकार एवं स्वतंत्रता सेनानी भी थे। वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चुने गए। वर्ष 1969 – 70 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ साथ केंद्र में रेल मंत्री के रूप में कार्य किया। 1983 – 86 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त हुए।
कमलापति त्रिपाठी जीवनी – Kamalapati Tripathi Biography
नाम | कमलापति त्रिपाठी |
जन्म | 3 सितम्बर 1905 |
जन्म स्थान | बनारस, उत्तर प्रदेश, भारत |
पिता | पंडित नारायण पति त्रिपाठी |
पेशा | राजनीतिज्ञ, लेखक, स्वतंत्रता सेनानी |
पद | मुख्यमंत्री (उत्तर प्रदेश), रेल मंत्री (भारत) |
उपलब्धि | साबरमती एक्सप्रेस, तमिलनाडु एक्सप्रेस, काशीविश्वनाथ एक्सप्रेस सहित कई ट्रेनों का संचालन |
राजनीतिक दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
पुरस्कार | गाँधी दर्शन के लिए मंगला प्रसाद पारितोषिक |
मृत्यु | 8 अक्टूबर 1990, वाराणसी, उत्तर प्रदेश |
चंदौली को चुना राजनीतिक कार्यस्थली – Chosen Chandauli as political workplace
पंडित कमलापति त्रिपाठी की जन्मस्थली बेशक से बनारस रही हो लेकिन उन्होंने चंदौली जनपद को अपनी राजनीतिक कर्मस्थली बनाया। चंदौली जिले के विकास का पहला खाका उन्होंने अपनी दूर दृष्टि से खींचा था। आज चंदौली जिले की हर बड़ी चीज पंडित कमलापति त्रिपाठी के ही नाम से जानी पहचानी जाती है। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि उनके जाने के बाद अन्य सरकारों ने उनकी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
पंडित कमलापति त्रिपाठी ने चंदौली जिले की सिंचाई, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में जो अलख जगायी थी, वह कोई और कायम नहीं कर सका।
स्वतंत्रता आंदोलन के साथ संविधान निर्माण में योगदान – Contribution in constitution making with freedom movement
त्रिपाठी ने 1920 में संयुक्त प्रांत में ‘असहयोग आंदोलन’, 1930 में संयुक्त प्रांत में ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ और 1942 में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में भाग लिया, जिसके लिए उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया और जेल भेजा गया।
केंद्रीय रेल मंत्री के रूप में कार्य – Worked as Union Railway Minister
उन्होंने पहली बार 1975 से 1977 तक और फिर 1980 में कुछ समय के लिए दो बार केंद्रीय रेल मंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने भारत का चार बार रेल बजट प्रस्तुत किया, 1975-76, 1976-77, 1980-81 (अंतरिम) और 1980-81 (अंतिम)। इनके कार्यकाल में देश में कुछ महत्तवपूर्ण ट्रेनों का संचालन शुरू हुआ। साबरमती एक्सप्रेस (अहमदाबाद से वाराणसी), तमिलनाडु एक्सप्रेस (नई दिल्ली से चेन्नई), गंगा कावेरी एक्सप्रेस (चेन्नई से छपरा, बिहार), काशीविश्वनाथ एक्सप्रेस (नई दिल्ली से बनारस)। इसके साथ ही पुणे में डीजल लोको शेड का निर्माण उनके कार्यकाल में शुरू हुआ था।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य – Served as Chief Minister of Uttar Pradesh
4 अप्रैल 1971 को देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की कमान पंडित कमलापति त्रिपाठी को दी गई। उन्हें सूबे का मुख्यमंत्री बनाया गया। उनका ये कार्यकाल लगभग दो साल 69 दिन का रहा। आगे चलकर 12 जून 1973 को उन्होंने सीएम पद को त्याग दिया लेकिन अपने राजनैतिक करियर को उन्होंने रुकने नहीं दिया।
प्रधानमंत्री बनने का अवसर एक क्षण में ठुकरा दिया – The opportunity to become Prime Minister was rejected in a moment
साल 1987 में राजीव गाँधी प्रधानमंत्री थे और ज्ञानी जेल सिंह राष्ट्रपति। दोनों के बीच डाक विधेयक को लेकर खींचातानी शुरू हो गयी। विवाद इतना बढ़ गया की ज्ञानी जेल सिंह राजीव गाँधी सरकार को बर्खास्त करना चाहते थे। ऐसे में राष्ट्रपति ज्ञानी जेल सिंह ने अपने किसी पत्रकार को त्रिपाठी जी के पास सन्देश लेकर भेजा की अगर त्रिपाठी जी चाहें तो एक वैकल्पिक सरकार का गठन करके उन्हें प्रधानमंत्री बनाया जा सकता है। लेकिन कमलापति त्रिपाठी ने यह प्रस्ताव यह कहते हुए ठुकरा दिया की ऐसा करना मेरी प्रवृत्ति और संस्कार दोनों में नहीं है। इस तरह एक ही क्षण में त्रिपाठी जी ने पीएम बनने का प्रस्ताव ठुकरा दिया।
लेखन कार्य – Writing work
- बापू और भारत, 1945
- बंदी की चेतना, 1946
- बापू और मानवता, 1945
- गांधी और मानवता, 1993
- स्वतंत्रता आंदोलन और उसके बाद, 1989
मृत्यु – Death
कमलापति त्रिपाठी का 8 अक्टूबर, 1990 को वाराणसी में निधन हो गया।
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