मंगल पांडे, आधुनिक भारतीय इतिहास का ऐसा नाम जिसने 1857 की क्रांति का सूत्रपात किया था। मंगल पांडे ब्रिटिश सेना में सिपाही थे। मंगल पांडे, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी में 34वीं बंगाल नेटिव इन्फेंट्री में सिपाही पद पर तैनात थे। इनका 1857 का विद्रोह फैलने से पहले की घटनाओं में महत्त्वपूर्ण योगदान था।
भारत सरकार द्वारा उनके सम्मान में सन् 1984 में एक डाक टिकट जारी किया गया
मंगल पांडे जीवनी – Mangal Pandey Biography
नाम | मंगल पांडे |
जन्म | 19 जुलाई 1827 |
जन्म स्थान | नगवा, जिला बलिया (उत्तर प्रदेश) |
पिता | दिवाकर पांडे |
व्यवसाय | भारतीय सिपाही |
बटालियन | 34 बंगाल नेटिव इन्फेंट्री |
छावनी | बैरकपुर |
1857 का विद्रोह में निभाई महत्त्वपूर्ण भूमिका – Played an important role in the revolt of 1857
मंगल पांडे 34वीं बंगाल नेटिव इन्फेंट्री बैरकपुर छावनी में तैनात थे। विद्रोह की शुरुआत एक बन्दूक से हुई। दरअसल यह नई तरह की बन्दूक थी। जिसे चलाने के लिए इसके ऊपरी हिस्से में लगी कारतूस को हटाना होता था। पूरी छावनी में यह बात आग की तरह फेल गयी कि इस कारतूस में गाय और सूअर की चर्बी का इस्तेमाल किया गया है। 29 मार्च 1857 को मंगल पांडे ने बैरकपुर छावनी में विद्रोह कर दिया।
धीरे धीरे विद्रोह की यह आग बंगाल सहित पूरे उत्तर भारत में फेल गयी।
क्या हुआ परिणाम – What was the result
बैरकपुर छावनी से निकली विद्रोह की यह ज्वाला उत्तर भारत में ज्यादा प्रचंड रूप से फैली। 10 मई 1857 को मेरठ छावनी में भी कोतवाल धनसिंह गुर्जर के नेतृत्व में बगावत शुरू हुई। देखते ही देखते इस विद्रोह ने भयानक रूप धारण कर लिया। इस विद्रोह को दबाने के लिए अंग्रेजो के हरसंभव प्रयास विफल होते जा रहे थे।
8 अप्रैल 1857 को हुई फांसी – Hanged on 8 April 1857
मंगल पांडे विद्रोह में जिन्दा पकडे गए। उन्होंने खुद को मारने का भी प्रयास किया। किन्तु वे उसमे केवल घायल हुए। 6 अप्रैल को उनका कोर्ट मार्शल किया गया तथा 8 अप्रैल 1857 को उन्हें फांसी दे दी गयी
व्यक्तित्व से सम्बंधित यह लेख अगर आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर करना न भूलें और अपने किसी भी तरह के विचारों को साझा करने के लिए कमेंट सेक्शन में कमेंट करें।