संन्यासी स्वामी आनंद का जन्म गुजरात के कठियावाड़ जिले के किमड़ी गाँव में सन् 1887 में हुआ। इनका मूल नाम हिम्मतलाल था। जब ये दस साल के थे तभी कुछ साधु इन्हें अपने साथ हिमालय की ओर ले गए और इनका नामकरण किया- स्वामी आनंद। 1907 में स्वामी आनंद स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गए।
महाराष्ट्र से कुछ समय तक ‘तरुण हिंद‘ अखबार निकाला, फिर बाल गंगाधर तिलक के ‘केसरी‘ अखबार से जुड़ गए। 1917 में गांधीजी के संसर्ग में आने के बाद उन्हीं के निर्देशन में ‘नवजीवन‘ और ‘यंग इंडिया‘ की प्रसार व्यवस्था सँभाल ली। इसी बहाने इन्हें, गांधीजी और उनके निजी सहयोगी महादेव भाई देसाई और बाद में प्यारेलाल जी को निकट से जानने का अवसर मिला।
नाम | स्वामी आनंद |
जन्म | 8 सितंबर 1887 | किमड़ी गाँव, कठियावाड़, गुजरात |
मृत्यु | 25 जनवरी 1976 |
आनंद का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में प्रवेश 1905 में बंगाल के क्रांतिकारियों के साथ जुड़ाव के माध्यम से हुआ। बाद में, उन्होंने 1907 में बाल गंगाधर तिलक द्वारा स्थापित मराठी समाचार पत्र केसरी में काम किया। वह ग्रामीण क्षेत्रों में स्वतंत्रता गतिविधियों में भी शामिल थे। इसी अवधि के दौरान उन्होंने मराठी दैनिक राष्ट्रमत के गुजराती संस्करण का भी संपादन किया। जब यह बंद हो गया तो उन्होंने 1909 में हिमालय की यात्रा की।
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