राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू की जीत का जश्न, विपरीत परिस्तिथियों में रहकर किया टीचर से राष्ट्रपति बनने तक का सफ़र

राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू की जीत का जश्न, विपरीत परिस्तिथियों में रहकर किया टीचर से राष्ट्रपति बनने तक का सफ़र

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA ) की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने जीत हासिल की हैं. राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष में यशवंत सिन्हा को हराकर उन्होंने राष्ट्रपति का ख़िताब अपने नाम कर लिया है. आदिवासी बाहुल्य इलाकों में जश्न का माहौल है तथा केंद्र सरकार द्वारा कराया गया जश्न का इंतज़ाम।

मुर्मू की जीत पर प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने द्रौपदी मुर्मू के  घर जाकर बधाई दी और साथ ही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी बधाई देने पहुंचे हैं

द्रौपदी मुर्मू कितने वोटों से जीती हैं 

आपको बता दें कि वोटों में मुर्मू को यशवंत सिन्हा से ज्यादा वोट मिले है. 64 फीसदी वोट पाकर जीत हासिक करी है. वोटों की गिनती में 2824 वोट मुर्मू को जिनका मूल्य 6,76,803 था और 1877 वोट यशवंत सिन्हा को मिले थे जिनका मूल्य 3,80,177 है.

राष्ट्रपति बनने तक का  सफ़र 

द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदापीसी गाँव में हुआ था. उनके पिता का नाम बिरंचि नारायण टुडू है. वें आदिवासी संथाल परिवार से ताल्लुक रखती है. उनका विवाह श्याम मुर्मू से हुआ था. दंपति के दो बेटे और एक बेटी हुई लेकिन कुछ समय बाद मुर्मू के पति और दोनों बेटों का निधन हो गया. उन्होनें अपनी बेटी को पढ़ाया। 

शिक्षिका के रूप में काम किया।

मुर्मू टीचर रहते अलग-अलग विषयों को पढ़ाती थीं। 

1994 -1997  के बीच उन्होंने शिक्षिका के रूप में काम किया। रायरंगपुर के श्री अरबिंदो इंटेग्रेटेर एजुकेशन एन्ड रिसर्च में एक शिक्षिका के रूप में काम किया

चुवाव में आना – 1997 में उन्होंने अधिसूचित क्षेत्र परिषद् में एक निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की

विधायक चुवाव में जीत 

रायरंगपुर से दो बार विधायक – रायरंगपुर से मुर्मू दो बार विधायक चुनी गईं ।

1997 – रायरंगपुर में नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में जीत मिली थी

वाणिज्य, परिवहन और बाद में मत्स्य और पशु संसाधन विभाग की 2000 -2004 के बीच मंत्री रही हैं जो की ओडिशा के नवीन पटनायक के बीजू जनता दल और भाजपा गठबंधन की सरकार थी

मयूरभंज – जिले की रायपुर सीट से 2000 और 2009  में दो बार विधायक बनीं तथा बजेपी के टिकट पर विधायक बनी थीं

द्रौपदी मुर्मू आदिवासी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य और भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष  रहीं हैं

झारखण्ड की राज्यपाल भी रहीं।

2015 में द्रौपदी मुर्मू झारखण्ड की 9वीं राजयपाल बनीं थीं और सैयद अहमद की जगह उन्होंने ली थीं।

मुर्मू झारखण्ड की पहली महिला राज्यपाल थीं.

2022 में 15वें  राष्ट्रीय चुनाव में द्रौपदी मुर्मू ने अधिक वोटों से जीत कर देश के इतिहास में पहली बार आदिवासी महिला राष्ट्रपति निर्वाचित हुई हैं

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